सीख
सीख
खुली फिज़ा में उडते परिंदे,
उडना हमें वो सिखाते।
शज़र पर बनाते है नीड एक
एकता का पाठ है पढाते।
अवनी पर चहुं ओर चरिंदे।
वही नजर मे अपनी आते।
जड़ चेतन का रूप है इनका
प्रकृति का है मान बढ़ाते
खुले आम घूमा करते दरिंदे,
बेहया करतूत कर डराते।
अविश्वास की दुनिया है इनकी,
समाज का है नाम डुबाते।