अहसास ; प्रेम
अहसास ; प्रेम
आज फिर दिल तन्हा है
भरी भीड़ में अकेला है।
क्यों ये सुबह गुलाबी नहीं
सफ़ेद है बिल्कुल साफ,
बिना किसी रंग के,
शाम स्याह
रात पूरी काली।
तुमसे क्यों ये मोहब्बत है
कि बिना तेरे जिया ही नही जाता।
सोचती हूँ कि न सोचूँ तुझे
पर सोचे बिना रहा नही जाता।
कितनी बार की है तुझे
दिल से निकालने की नाक़ाम कोशिश
और इस हार का भी और मज़ा है
आ जाओ कि दिल तन्हा है।