STORYMIRROR

Kuhu jyoti Jain

Romance

2  

Kuhu jyoti Jain

Romance

अहसास :इंतज़ार का

अहसास :इंतज़ार का

1 min
388


तुम सामने खड़ी हो मेरे और

तुम्हें छू भी न पाया हूँ

आलिंगन को तरसती मेरी बाँहे

तुम्हें तो कह भी न पाया अब तक


कितनी शामें और कितनी सेहर बीत गयी

की तुम्हारा ख़याल किसी वक़्त भी

दिल से गया नही और

तुम्हारे लिए किए इंतेज़ार के बाद भी

आज जब तुम सामने हो तो

वो क्या है जिसने मुझे रोक रखा है

या तुम्हें कि

मैं और तुम मिल नही पा रहे

एक दूजे से


आ भी जाओ की अब उम्र ख़त्म होने को है

ये जो इन्तेज़ार है उसे ख़त्म होने दो

कि मैं तुमको जी भर के चाह लूँ

और सामने तुमको देख अपनी खुशी पा लूँ

कि तुम्हारे आ जाने की राह में

जीता रहा हूँ मैं यूँ कि

कभी भरा ही नहीं

वो खालीपन•••

वो सूनापन •••


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance