अधूरी शाम
अधूरी शाम
खुले केश और
मुस्काते लब जब सहसा
मुझे दिखे तेरे
सच कहूं मैं दीवाना हो गया
ये दिनकर का ढ़लना
आज शुभ हो गया मेरे लिए
बरसों से थी
मेरी अधूरी शाम
आज पूरी हो गई।
खुले केश और
मुस्काते लब जब सहसा
मुझे दिखे तेरे
सच कहूं मैं दीवाना हो गया
ये दिनकर का ढ़लना
आज शुभ हो गया मेरे लिए
बरसों से थी
मेरी अधूरी शाम
आज पूरी हो गई।