तुम कुछ मत कहना...!
तुम कुछ मत कहना...!
मैंने तुम्हारे आँखों में उमड़ते हुए
प्रेम के अथाह सागर को देखा है
इसलिए तुम कुछ मत कहना..!
तुम्हारे खामोश लबों पर फूटते प्रेम के
अकथ्य लफ़्ज़ों को सुना है..
इसलिए तुम कुछ मत सुनाना..!
मैंने पढ़ा है तुम्हारे द्वारा अ रचित उस ग्रंथ को
जिसे बोलकर सुनाने की ज़रूरत नहीं होती
अब मत कहना की कहो तो बोल दूँ
हमें अपने पवित्र प्रेम को बोलकर
मलिन नहीं करना है
देखकर तिरस्कृत नहीं करना
और मिलकर मिटने नहीं देना है
युगों युगों तक हमारा प्रेम यूँ ही रहेगा अमर
हम मिलते रहेंगे ना मिलकर भी और..!!