जहाज गुज़रता है
जहाज गुज़रता है
बचपन की रंग-रलियों में..
हाँ खोया गाँव की गलियों में..
कागज-नाव गुजरी नलियों में..
यादों का घन बरसता है।
ऊपर से जहाज़ गुजरता है।।
देख इकठ्ठे होते सब भागकर..
कभी दौड़ लगाते छत-छत पर..
मेरे ऊपर से गया बोलते अकड़कर..
सबसे छोटा वो डरता है।
ऊपर से जहाज़ गुजरता है।।
वो जाता है कोई चीख रहा..
कुछेक को ही अब दिख रहा..
किसी की तृष्णा का भीख रहा..
बात तेज आँखों की करता है।
ऊपर से जहाज़ गुजरता है।।
इक दिन मैं भी जहाज़ उड़ाऊंगा..
मेरे माँ-पापा को ले जाऊँगा..
तुम सबको न संग चढ़ाऊँगा...
सबके मन में ख्वाब संवरता है।
ऊपर से जहाज़ गुजरता है।।