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Kunda Shamkuwar

Abstract Tragedy

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Kunda Shamkuwar

Abstract Tragedy

अधूरी बातों की पूरी कहानी

अधूरी बातों की पूरी कहानी

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वह अधूरी बातें

क्या वह वाकई अधूरी होती है ?

शायद नही.....


कभी कभी वे अधूरी बातें

पूरी बात जो कह देती है

कभी इशारे से

कभी कहते कहते रुक कर.....


उन अधूरी बातों से वे दूसरी

अधूरी बातें छुपी ही रह जाती है

और जिंदगी भर वह

जस्टिफिकेशन देती रहती है....


कभी कभी अधूरी बातें मुझे

कुछ कहती सी लगती है

पर कह नहीं पाती......

पानी की उन बूंदों जैसी

जो हथेली में आ तो

जाती है पर रुकती नहीं.....


अगर वह रुक जाती

तो फिर अधूरी कैसी ?


कभी वे अधूरी बातें मुझे

परफ्यूम सी लगती है

पूरी होने की आस में

इधर-उधर हर जगह फैलती है....

चाहे अधूरी ही क्यों न रह जाये

फिर भी फैलती जाती है.....


कभी लगता है कि अधूरी बातें

दरवाजों के पीछे खड़ी होकर

अपनी बारी के इंतज़ार में खड़ी रहती है


क्या उन अधूरी बातों का

इंतज़ार कभी खत्म होता है ?

क्या दो अधूरी बातें मिलकर

कभी पूरी होती है ?

शायद हाँ......

शायद नहीं.......


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