अधूरी बातें
अधूरी बातें
आज फिर मेरी उनसे मुलाकात हो गई,
पहले मिलन की बातें होंठो पे आ गई,
उसका सुंदर चेहरा बदला हुआ देखकर,
मेरी अधूरी बातें-जो दिल में रह गई।
उसकी मायूसी मुझको बेताब बना गई,
उसको कारन पूछने की हिम्मत न हुई,
उसकी आंखों से बहतें हुए आंसु देखकर,
मेरी अधूरी बातें-जो दिल में रह गई।
उसकी नाराजगी मुझे परेशान कर गई,
इश्क का इजहार करने की बात न हुई,
उसके होंठो से बहकतें अंगारे देखकर,
मेरी अधूरी बातें-जो दिल में रह गई।
आसमान में पूनम की चांदनी फैल गई,
उसको प्यार से मनाने की पल आ गई,
"मुरली" गुस्सा होकर फिर से चली गई,
मेरी अधूरी बातें-जो दिल में रह गई।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ - गुजरात)

