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Juhi Grover

Romance

3  

Juhi Grover

Romance

अचूक निशाना

अचूक निशाना

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अचूक निशाना था उसकी ही आँखों का,

सीधा दिल पर ही ज़ोरदार ऐसा ही लगा।


भिगो गया समन्दर मुझे उसकी चाहत का,

पलकों को खुद ब खुद ही झुकाने लगा।


लहरा गई हवाएँ भी उसके ही इकरार की,

समां ऐसा बस मदहोश मुझे करने लगा।


दी गवाही कण कण ने उसके इज़हार की,

बस मन मेरा धीरे धीरे अब बहकने लगा।


यों उस ने जो अब मेरी बात स्वीकार की,

कि मुझे भी चाहतों का एहसास होने लगा।


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