अच्छे दिन आएंगे।
अच्छे दिन आएंगे।


आज विश्व है कठिन परिस्थिति में,
चारों और है उदासी का वातावरण,
पृथ्वी का कोई भी कोना नहीं सुरक्षित,
परिस्थितियां इतनी दयनीय,
हुई नहीं थी कभी,
क्या इससे निकल पाएंगे,
अच्छे दिन आएंगे।
ऐसा समय आ गया,
पूरे विश्व में मंदी छा गई,
हर तरफ घाटा ही घाटा,
बेरोजगारी का दौर चल पड़ा,
खाना पीना दुर्लभ हो गया,
स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय भी बंद,
ये मानव जाति को क्या हो गया।
एक वायरस ऐसा आया,
उसने कर दिया तरक्की का सफाया,
पता नहीं चलता,
ये कैसे एक इंसान में घूस जाता,
और धीरे धीरे पूरे परिवार को ले मारता,
जो भी उसके संपर्क में आता,
वो ही रोग ग्रस्त हो जाता,
यहां तक की उसकी देखभाल भी नहीं हो पाती,
अगर मृत्यु हो जाए,
तो अंतिम संस्कार में भी,
घर वाले शामिल न हो पाएं।
शायद ऐसी दुर्गति,
मनुष्य की देखी न थी कभी,
मनुष्य जो हर बात पे था इतराता,
दुनिया की हर मुसीबत को काबू कर था डालता,
अचानक ये क्या हो गया,
उसकी महाविनाशक शक्तियां,
लगता है,
धरी की धरी रह गई।
अब तो भगवान पे है,
आखिर बात आई,
तूं ही कुछ समाधान सूझा,
तेरा बनाया हुआ सर्वोत्तम प्राणी,
आज लड़ रहा अपने अस्तित्व की लड़ाई,
अगर हो गया सर्वनाश,
तो तू किस पे राज करेगा हे भगवान।