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MD ASHIQUE

Tragedy

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MD ASHIQUE

Tragedy

आवाज़ नहीं मरते

आवाज़ नहीं मरते

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अब जब बेचैन करने वाली बातों पर

चुप्पी साध ली जाती है। 


अब जब शर्म से गड़ जाने वाली बातों पर 

तालियाँ गूँज उठती है। 


अब जब उंगलियां सवाल खड़े करने

के बजाय 

बेजान जुबाँ पर रख सील दी जाती है। 


अब जब स्वार्थ हृदय की नहीं

सुनता और

विवेक को विनाश के लिए सरेआम

ललकारता है। 


तो सच कहूँ मुझे आश्चर्य नहीं होता!

कारण अब मैं मुतमइन हूँ कि मुर्दे

केवल कब्र में नहीं बसते। 


इसलिए मैं पूरी ताकत से अपने

बेचैन शब्दों को

कब्रगाह में फेकता हूं क्या पता

शब्द की चोट से

कोई जाग उठे और


अपनी पूर्वजों की दस्तख़तनामा

के बजाय

जायजा मांगे हुक़ूमत से उनके

कर्मों का।

 

जब जब हुक़ूमत ने आवाज़ को

बेअसर करना चाहा है 

जज्बात नहीं मरते

मुर्दों के रूह से 

आवाज़ निकल आयी है।।


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