उस चालक आदमी ने
उस चालक आदमी ने
उस चालक आदमी को
अब जब मालूम है कि
तारीख ए इम्तिहा नजदीक है
और भीड़ के बीच से बौखलायी
सवालों का बवंडर जमी को साथ लिए
उसकी तरफ बढ रही है।
उसने बड़ी एहतियात से
मजमा ए जुलूस को इत्मीनान
बाधते हुए इतिहास के आसमान पर
अज्ञात नक्षत्र पिण्ड खतरें की ओर
इशारा करते हुए हवा का रुख ही बदल दिया।
उसने भय का एक नया प्रश्न चिन्ह
खरा करते हुए बवंडर के
कंधों पर लाए सारे जमीनी सवालों को
गुमराह की अंधयारी खाई में
कुचलते हुए आश्वासन दिया कि
उसकी मौजूदगी में
नक्षत्रों से जमी का
कोई खतरा नहीं।
इसलिए कि उसे मालूम है
धरती और नक्षत्र का देवता
अब उसका मित्र है उसके साथ है।
लेकिन
उसी मजमे से किसी शायर ने चिखा -
"तुम जुल्म की आंधी से
न्याय का दीपक बुझा नहीं सकते
एक चिनगारी काफी है
तुम्हारी हस्ती मिटाने को।''
देश द्रोही का मुकदमा
शायर पर अभी कायम है।
- 'मो० आशिक '
