आसमान की छत
आसमान की छत
धरा घर है संग में विस्तृत नभ
ईश्वर प्रदत्त वह हमारा छत।
प्रकाश ऊष्मा ऊर्जा देता हुआ
वह बना हमारा आशियाँ।
नहीं कोई छीन सकता उसे
नहीं है कोई उससे डर।
कभी काले घने बादलों से आच्छादित,
कभी स्वच्छ निर्मल शुद्ध
जैसे हो बर्फ की सफेद चादर।
प्रकृति ने दिया हमें सदा
यह अमूल्य बेशकीमती छत।
दिन में सूर्य किरणें संग हैं,
रात में धवल चाँदनी।
तारों की पूरी पलटन है,
बिखराती मद्धम रोशनी।
कैसे प्रकट करूँ प्रभु का,
कितना विशाल हृदय उनका
दिया है हमें अद्भुत अनंत।
प्रकृति ने दिया हमें सदा,
यह अमूल्य अलौकिक छत है।
न तेरा मेरा का झगड़ा कोई,
न खोने पाने का भय ।
जहाँ मर्जी वही पसर ले,
यह सुख लगे अद्भुत सुंदर।
प्रकृति ने दिया हमको सदा,
यह विस्तृत छत।