आस
आस
साथ जीने की मन में एक आस बाकी है।
दबी हुई वो एहसास निकलनी बाकी है।
मौत से जीत पाया कौन, मगर जब तक है ज़िंदगी,
उन धड़कनों को सुनने का इंतजार बाकी है।
उठती है वो टीस बार बार, दिल में बसेरा।
ना सुकून की रात, ना मुस्कुराता सवेरा।
कुछ ख़्वाहिशें अधूरी, प्यारा सपना अधूरा,
चाहता दिल अब भी उसकी बाँहों का घेरा।
नम हैं आँखें अब तक, ठहरे हैं आँसू
मिटा न पायी दूरियाँ भी वो प्यार।
नहीं भाया इस मन को दूजा कोई,
वक़्त का मरहम भी गया हार।
साँसों के टूटने से पहले आ जाना,
बह जाने दो एक बार फिर ये धार।