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Arunima Bahadur

Action

4  

Arunima Bahadur

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आस और आस्था

आस और आस्था

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घट घट व्यापी वो प्रभु,

हर हृदय में जो रहता हैं,

देता नित प्रेम की शिक्षा,

एकात्म भाव वो देता हैं।

यही आस्था प्रबल हमारी,

दिलो को जो मिलाती है,

आस जगाती है मन में,

जीवन सुखमय बनाती हैं।

न हो आस्था खतरे में भी,

आस संग विवेक रखना,

न कोई बाटे हमें धर्मों में,

एक धर्म के पथ पर चलना।

एक धर्म केवल मानवीयता,

करुणा, त्याग, अहिंसा, प्रेम से,

भूल गए जो यह सद्गुण,

बंधे कुमति के फेर से।

जागो आज हे मनुज,

देख कहाँ तू भटका हैं, 

तेरी ही नासमझी से,

आस, आस्था को खतरा हैं।।



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