आपदा
आपदा


आपदा @@@@
पहाड़ियों से अठखेलियाँ करता भानु , बादलों को छेड़ अपनी ही मस्ती में ,
अलखनंदा के साथ साथ चला जा रहा था ।
बादल भी उमड़ घुमड़ तेजी से भाग रहे थे।
मानो भानु और बादलों में लुकाछिपी का खेल चल रहा था
देवभूमि की आध्यत्मिक ,प्राकृतिक छटा देखती ही बन रही थी ।
प्रकृति आल्हादित कर रही थी
सब देवभूमि को नतमस्तक हो हम आगे बढ़ रहे थे ,
पहाड़ बादल नदियों से बतियाते हमसफ़र संग चल रहे थे ।
अचानक पहाड़ पिघलने लगे ,
प्
रकृति के कोप से डरने लगे ,
अकल्पनीय आपदा को खुली आँखों से देखने लगे ।
ज्ञान और विज्ञान में ,अब जंग छिड़ गयी ,
पर्यावरण से छेड़छाड़ ,प्रकृति को असहनीय कर गयी ।
प्रकृति और मानव में अब ठन गयी ,
जिंदगी थम गयी कुछ लाशो में तब्दील हो गयी ।
मंजर सिहर उठा ,काल के गाल में बहुत कुछ समा गया ,
देख वह दृश्य दिल दहल उठा ।
प्रकृति सीखा गयी ,आपदाओं के आना
जीवन का अंग है ,
पर गिर कर संभलना मानव का धर्म है,
आपदा को अवसर में बदलना ही हमारा कर्म है।