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Satyendra Gupta

Abstract

4.5  

Satyendra Gupta

Abstract

आप चलो हम आते हैं

आप चलो हम आते हैं

2 mins
361


आप चलो हम आते है

दिल की बात बतलाते है

न जाने ये बातें कहां से आते है

लोग भी ये बातें यहां पे समझाते है।

आप चलो हम आते है।


खुशियां मिले तो दिल खुश हो जाते है

गम मिले तो दिल गमगीन हो जाते है

ईच्छा तो बहुत कुछ है करने की

पर इच्छानुसार कहां कर पाते है

मन में है बहुत सारे विचार

उन विचारों को सहेजकर ,रख कहां पाते है

आप चलो हम आते है।


हमसे है हमारे लोगो की उम्मीदें

उम्मीदों पे खरा कहां उतर पाते है

मन में है घूमते बहुत सारे सवाल

मनचाहा उत्तर कहां मिल पाते है

जीवन में क्या करू या ना करू

ये बातें समझ कहां पाते है

आप चलो हम आते है।


सुनाऊं मजबूरियां अपनी किसी को

बाद में मेरी मजबूरियों का मजाक उड़ाते है

कैसे हाल बताऊं आपको अपना

हाल बताने पे वो अपना हाल सुनाते है

कौन है खुश, रहकर इस दुनिया में

सब लोग केवल अपनी अपनी किस्मत आजमाते है

सलाह तो देते है लोग हजार

साथ चलने को कहूं तो इनकार क्यों कर जाते है

आप चलो हम आते है।


दूसरों की बातें छोड़ो , वो तो पराए है

अपने भी कहां हर बात समझ पाते है

जरुरते पूरा करो हमेशा तो ठीक

वरना अपने भी आजमाने लग जाते है

क्या किया है आपने हमारे लिए

ना जाने कितने कठोर बात कह जाते है

बचपन से जो भाई रहा साथ में

दुश्मन से भी बुरा बरताव कर जाते है।

फिर मन कहता है ये कहने को

आप चलो हम आते है।


जिस समाज में रहते है बंधकर हम सब

एक नजर से वो भी कहां देख पाते है

जिसकी है जैसी हैसियत 

हैसियत के मुताबिक सम्मान दे पाते है

गरीब की इज्जत नहीं होती यहां पे

यहां तो उनके मजाक उड़ाएं जाते है

ये दो बात अगर बोल दे समाज को

तो उस बात पे उनके हैसियत दिखलाए जाते है

फिर मन कहता है ये कहने को

आप चलो हम आते है।


मेरा है यही सबसे कहना

फिजूल की बातों में न उलझना

साथ नहीं है कोई देने वाला

अपने मेहनत के दम पे आगे बढ़ना

माता पिता का मानो कहना

भाई भाई प्रेम पूर्वक संग रहना

मुश्किल अगर आ जाए तो

खुद से ही हल करो सीखना।

न समझे गर कोई आपको

फिर मन कहता है ये कहने को

आप चलो हम हम आते है।


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