आंतकमुक्ति अवकाश
आंतकमुक्ति अवकाश
कोरोना महामारी का हर तरफ था जोर,
बीबी बिना वजह पीट रही ढोल मचा के शोर।
घर में नजरबंद पति की हालत थी बेकार,
महामारी से परेशान बीबी का रुठ गया प्यार।
पति बन गया दुश्मन जो कभी था यार,
घर के काम-काज का चढ़ने लगा खुमार।
बीबी की कट-कट चल रही थी लगातार,
कुत्ते के बदले पति बन गया था पहरेदार।
खाली-पिली पति दिखता था बेकार,
आपद में जोरु ने ढूंढा था नेता जैसा अवसर।
बच्चों को अपने साथ बहला-फुसलाकर,
कैदी-पति पर कर रही थी जेलर जैसा अत्याचार।
घरकाम से पति की हालत हुई थी बेकार,
बंद थे सभी रास्ते और जंग खा रही थी कार।
ऐनरजी पेय भी हो गये थे दुश्वार,
उसके बिन हजम नहीं हो रहा था आहार।
वर्क फॉमे होम ने तोड़ दी थी कमर,
बुरा पड़ रहा था पति के सेहत पर असर।
कैसे मिलेगी पत्नी आतंक से राहत की सांस इस बार,
पत्नी आंतकमुक्ति अवकाश ही कर सकता था बेड़ा पार।
