STORYMIRROR

Sanjay Jain

Romance

4  

Sanjay Jain

Romance

आँसू

आँसू

1 min
353

हमारी आँख से आँसू निकल जाते तो अच्छा था

तुम्हारी ही तरह हम भी बदल जाते तो अच्छा था


गए जब छोड़ कर हमको न ज़िद कर पाए हम तुमसे

अगर बच्चों की मानिंद हम मचल जाते तो अच्छा था


पता था क्या मिलेंगे ग़म हमें तोहफे में तुमसे भी

खिलौना मान कर उनको बहल जाते तो अच्छा था


न जाने किसलिए खाईं हज़ारों ठोकरें हमने

अगर पहली ही ठोकर में संभल जाते तो अच्छा था


हमारा दिल नहीं जलता उन्हें यूँ देख कर अब तक

तुम्हारे ख़त अगर पहले ही जल जाते तो अच्छा था


न जाने क्यूँ हिना बनकर रहे उसकी हथेली पर

अगर हम रेत की मानिंद फिसल जाते तो अच्छा था


न खाते चोट हम इतनी जो दिल पत्थर नहीं करते

अगर हम मोम बनकर ही पिघल जाते तो अच्छा था


दिलों के टूटने का शोर होता क्यूँ नहीं संजय

उन्हें भी तो पता चलता दहल जाते तो अच्छा था



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance