लाज़मी तो नहीं
लाज़मी तो नहीं
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वो हमारा रहे लाज़मी तो नहीं
धड़कनें भी सुने लाज़मी तो नहीं
चाँदनी रात है और तन्हाई भी
बाम पर वो मिले लाज़मी तो नहीं
कह दिया सब निगाहों से उसने अगर
लब से भी कुछ कहे लाज़मी तो नहीं
चल दिए हो अगर तुम सफ़र के लिए
हमसफ़र भी मिले लाज़मी तो नहीं
क्या हुआ जो तुम्हें तीरगी मिल गई
रोशनी ही मिले लाज़मी तो नहीं
जानिब ए मैकदा बढ़ चले हो मगर
जाम तुम को मिले लाज़मी तो नहीं
लूटने कारवाँ यार आया मेरा
छोड़ देगा मुझे लाज़मी तो नहीं
बिजलियाँ टूट कर गिर रही हर तरफ
घर मेरा बच सके लाज़मी तो नहीं
कर दिया गर करम आज मौजों ने तो
नाखुदा भी करे लाज़मी तो नहीं
ठीक है प्यार संजय तुम्हें हो गया
प्यार वो भी करे लाज़मी तो नहीं
