आँसुओं की आदत
आँसुओं की आदत
अब खुशियों की कारीगरी
न सजाती है
अब मुस्कान की जादूगरी
न भाती है
चाहे तन्हाई हो या महफ़िलें
आँसुओं की कतार तो जैसे
एक दावत सी हो गयी है
अब इन आँसुओं की आदत सी हो गयी है
वो चमचमाता आसमां भला किसे नहीं भाता
वो बादलों की मोतियों सी बौछार में भीगता
धरती का दामन
किसे नहीं बुलाता
पर अब न जाने क्यों
वो चमचमाता आसमां आँखों को
चुभता सा लगता है
वो भीगती धरती का दामन
मेरे कदमों में दुःखता है
अब तो जैसे ये आँसुओं की धार ही
एक राहत सी हो गयी है
अब इन आँसुओं की आदत सी हो गयी है ।