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Aishwariya Das

Tragedy

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Aishwariya Das

Tragedy

आंचल

आंचल

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अम्मा तेरा आंचल

कितनी ही कहानी कहती है

कुछ भूल गया हूं 

कुछ कुछ याद है वह पल।


पूरे घर की ज़िम्मेदारी लिए चलती होना अम्मा

इस चाबी के गुच्छे की तरह

सारे दुख सुख इसी में पिरोए होगी।

कभी सम्मान बन तुम्हारे सर को ढका होगा

कभी अडिग विश्वास से यूं ही 

आसमान को छू आईं होगी

थक कर,पसीने में घर जब लौटा था

पसीना पोंछ,खाना खाया बेटा

कह कर चिंता जताई होगी।


तेरे रोज़ नए रंग के आंचल ने 

नई ही दास्तां संजोई होगी 

रोया होगा खूब 

रो रो कर आंचल भीगाई होगी

अब जो इतने दूर हूं 

ज़रूर मेरे इंतज़ार में 

तूने आंचल बिछाई होगी।


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