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Aishwariya Das

Romance

3  

Aishwariya Das

Romance

अधूरा अलविदा

अधूरा अलविदा

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कुछ अधूरा रह गया है मेरा ,

कहां ? वहीं

जहां बारिश की बूंदों का के सहारे,

नीली झील के बांध को रोका नहीं

बस बहने दिया ।

निशब्द हो चुके अधरों को रोका नहीं

बस तेरा नाम कहने दिया ।

आज भी ढूंढ़ती हूं वहां

जो खोया था वापस मिल जाए।

कहीं तू मुझे दुआ में मांगे

और तेरी दुआ कबूल हो जाए।

आवाज़ दी थी तुझे ,

शायद तूने सुना नहीं ।

कैसे कह दूं अलविदा, तुझे से अलग राह तो

मैंने चुना ही नहीं।


लाख कोशिश की मना लूं

नासमझ इस दिल को

सुनता ही नहीं है ,

बोले ,मेरे लिए बस तू ही सही

यह अलविदा मुकम्मल ही नहीं है ।

थोड़ा वक्त और इतनी जो

इंतजार का जुल्म सही है।


यह किस्सा आज भी अधूरा है,

शायद मेरा एक हिस्सा तेरे से ही पूरा है।


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