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Aishwariya Das

Abstract

5.0  

Aishwariya Das

Abstract

मुझे कुछ कहना है

मुझे कुछ कहना है

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आप सोचेंगे कौन हूं मैं

मैं हूं फूल गुलाब का

निशानी तेरे इश्क़ के

जवाब का।


खूबसूरती पे अपने क्या इतराना,

शायरों की शायरी मुझ पर

महबूब तेरा भी मुझ पे दीवाना।


मेरे बिना ना सजती कोई नार

बिन मेरे अधूरा साज श्रंगार।

दुआ भी अधूरी है तेरी

जो मैं ना अर्पित उसके द्वार ।

शादी बियाह में मुझे दे आते,

मुझसे अपना घर सजाते,

कभी गुलकंद बनाते ,

कभी इंतज़ार के नाम पर

किताबों में दबाते।


सब तो ठीक है

पर काम हो जाने पर

मुझे कहीं भी फेक क्यूँ आते

प्यार पे गुस्सा, मुझे चप्पल के

नीचे दबाते ।

रुखाई फितरत नहीं मेरी

तेरी मोहब्बत और जरूरत को

हँस के निभाऊंगा।

वरना

शिकायतें तो इतनी है

कहते कहते मैं थक जाऊँगा

अब विदा लेता हूं

नहीं तो भावनाओं में बह जाऊँगा।



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