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Kanchan Prabha

Romance

3  

Kanchan Prabha

Romance

आमन्त्रण प्रेम का

आमन्त्रण प्रेम का

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गोधुली वेला में आज

छत की मुंडेर पर मैं 

डूबती चली गयी 

अतीत के सागर में 


जब उनकी प्रथम छुअन से 

मेरे हृदय में निस्पंद तरंग 

गुंज उठी थी ,धड़कने चुप हो 

धड़क रही थी


रंगने उनके गालों को 

मैं चुपके से गयी थी

और वो मेरी कलाई पकड़ बैठे 

मुस्कुराते हुए


कहने लगे न छोड़ू इसे मैं 

अगर ज़िन्दगी भर के लिए 

मैं शरमायी कुछ बोल न पाई

और हाथ छुड़ा कर भाग गई थी


दूर खड़े वो हंसते रहे और

हंसते हंसते ही कुछ कह दिया था

मेरी खामोश निगाहों में उनका

प्रथम आमंत्रण था वह प्रेम का.


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