आजादी ?
आजादी ?
मिल तो गई है आजादी हमें
अंग्रेजों के अत्याचारों से
कैसे मुक्ति मिलेगी लेकिन
अपने देश के ही गद्दारों से
उन्होंने तो कूटनीति कर
सामने से किया था हमला
उनका क्या जो "आस्तीन के साँप"
बन कर रहे देश को खोखला
अपनी अपनी स्वार्थ सिद्धि से
भारतीयता को करते कलुषित
सांप्रदायिकता को दे के बढ़ावा
मानवीयता को करते विभाजित
यत्र तत्र सर्वत्र बस सत्ता का प्रलोभन
येन केन प्रकारेण धन का संग्रहण संचयन
चाटुकारिता से हो या आधिपत्य से
चाहे शोषण से हो या अधिग्रहण से
कूटनीति से हो या राजनीति से
व्यापार से हो या भ्रष्टाचार से
प्रवंचना से हो या षडयंत्र से
अधिकार से हो या व्यभिचार से
अपने ही देश के दुश्मनों से
कैसे करें युद्ध आंदोलन
जिनके लिए "देशभक्ति" है सिर्फ
फहराना "ध्वज" और गाना "जन मन गन।"