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chandraprabha kumar

Romance Fantasy

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chandraprabha kumar

Romance Fantasy

आज वह नहीं हो

आज वह नहीं हो

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तुम मुझको चाहो न चाहो

मैं तुमको चाहती रहूंगी,

आज तुम दूर चले गये हो 

पास रह कर भी दूर बने हो।


ठीक से बोलते भी नहीं

प्यार की कौन कहे,

पर तुमको उलाहना न दूँगी

सब तुम्हारी बेरुखाई झेल लूँगी ।


कैसे भूल जाऊँ कि

कभी तुम्हीं ने

मुझको मेरे जीवन की

अनजानी राहों से

परिचित कराया था।


कभी तुम्हीं ने 

एक लजीली नवोढ़ा को

अपने प्यार से रंग दिया था,

तुम्हारा वह कोमल भाव

कभी भुला न पाऊँगी।


क्योंकि मेरे मधुरतम क्षण

तुम ही से जुड़े हैं,

भले ही तुम आज वह नहीं हो

पर मेरी यादों में 

उसी तरह बसे हो।



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