STORYMIRROR

anita rashmi

Fantasy

4  

anita rashmi

Fantasy

आज कविता

आज कविता

1 min
347


कभी कविता 

गुलाब बोया करती थी, 

गुलाब उगाया करती थी, 

कविता में था समय का स्पंदन 

गेंहू, धान बो कर भी 

हो जाती रही समृद्ध वह ,

साँसों में उसकी 

गुलाब-जूही की चमक, 

फसलों की सोंधी महक, 

रहती थी कभी 

कविता की बातों में 

सीधी-सरल लकीरें 

औ आदमियत की सुगंध 

रहा करती थी। 

  

आज कविता 

सरल सहज नहीं 

उसने अपने रंग, चलन, ढब 

बदल लिये 

न जाने कब से 

उसकी बातों में 

सरोकारों में 

बंदूक, गोली, बारुद की 

धमक भर गई।

 

याने आज कविता 

आज भी कविता 

अपने समय का सच बताती है,

आज वह कलम से नहीं 

बंदूक की निकली 

गोली से लिखी जाती है

और हमें कितना अधिक डराती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy