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Surjmukhi Kumari

Romance Fantasy

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Surjmukhi Kumari

Romance Fantasy

घर से निकलते ही

घर से निकलते ही

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घर से निकलते ही

कुछ दूर चलते ही उनसे मिली जब नजर ...

पहली दफा मैंने जब उनको देखा था

सांसे ये गई थी ठहर .....


रहते हैं दिल में मेरे कैसे बता दूं उन्हें ....

कहने से लगता है डर .

मैं तो नहीं कह सकी कोई बता उन्हें....

कहती है धड़कन मेरी क्या कैसे सुना दूं उन्हें ..


नजरों ने कई दफा कह दिया... 

लफ्जों मेंं कैसे मैं करूं बयां...

घर से निकलते ही


कुछ दूर चलते ही उनसे मिली जो नजर....

पहली दफा मैंने

जब उनको देखा था सांसें गई थी ये ठहर....

सातों जन्म के लिए बन जाओ मेरे हमसफर..


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