शायरी
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दिले मजार पर,
दिल दीप बन जलता रहा
उसको कुछ खबर नहीं,
वो फूंक मार चल दिया
गुजरें हैं इन जामों से,अपने बैगाने भी
कुछ अश्क, गम दे चल दिए
टूटे दिले मयखाने से
तेरी बात मानी
गलियों की खाक छानी
जिंदा दिल की जिंदगी,
इक मजार बन गई
खूने गम के दीप से,
रोशन जहां कर गई
तुम भी वही हो, हम भी वही हैं
जिंदगी की राहें वही हैं
मंजिल भी एक है
पर साथी वो नहीं हैं।