दृढ़ संकल्प, सफलता कुछ दूर।
दृढ़ संकल्प, सफलता कुछ दूर।
एक वैज्ञानिक था,
बहुत मेहनती और निष्ठा का,
उदाहरण था,
नये नये प्रयोग करना,
उसके जीवन का,
ध्येय था,
जो भी जिम्मेदारी देता,
उसे अपना काम समझकर निभाता।
एक बार महामारी फैली,
कोई भी चिकित्सा नहीं सामने थी,
सब कोशिश करते,
कभी एक ढंग से,
कभी दूसरे ढंग से,
परंतु सफल न होते।
आखिर सरकार ने बीड़ा उठाया,
उसकी टीम को,
ये काम सौंपा,
मन बंटा हुआ,
एक तरफ खुशी,
आपको एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मिला,
पुरी दुनिया पे,
जिसकी नजर,
परंतु दूसरी तरफ शंका,
क्या हम सफल होंगे,
इस दैत्य से लड़ पाएंगे,
दुनिया को बचा पाएंगे।
आखिर सारी टीम,
इकट्ठी हुई,
अपना अपना काम बांटा,
डट गये,
ये प्रण लिया गया,
जब तक न पाएंगे,
इस दैत्य का इलाज,
नहीं देखेंगे,
घर का द्वार।
सबने दिन रात एक किया,
तरह तरह की,
खोजबीन की,
आखिर पाया गया,
इसके लिए चाहिए,
दैविक जड़ी बूटी ,
जो मिलती शिवालिक पर्वत श्रृंखला में,
सिर्फ वो चांदनी रात में महकती,
उसकी महक से ही,
उसे ढूंढ सकते।
फिर आई चांदनी रात,
पुरी टीम फैल गई,
शिवालिक पर्वत श्रृंखला में,
किया गया इकट्ठा,
इस दैविक जड़ी बूटी को,
लाया गया प्रयोग शाला में,
बनाई गई औषधि,
किया गया ट्रायल,
सब हो गये ठीक,
औषधि का नाम रखा गया,
शिक-22,
सारी दुनिया में हुआ चर्चा,
सारी टीम को,
किया गया सम्मानित।