आईना झूट नहीं बोलता
आईना झूट नहीं बोलता
आईने में खुद को देखा
तो हैरत हुई,
चेहरे की झुर्रियों से
दिल की हसरत गमदीदा हुई,
सब बदला बदल गये हालत
आईने में भी नहीं रही
वो पहली वाली बात,
अब आइना देख कर मुझे मुस्कराता है
मुझे मेरी सही उम्र बताता है,
दिल में मेरे वो सच की
छुरियां चलाता है।
अब आईना देखने से मन भर गया
किया था जो वादा
उसने साथ चलने का
मुझे छोड़ मझदार में
खुद अकेले चल दिया।
उसकी भी गलती नहीं
वो सिर्फ एक आईना है
हम इंसानों को भी समय की चक्की में
एक दिन ढल जाना है।
आईने ने आखिर बता दिया
मुझे मेरे हालत
कि अब नहीं रही
तुझमें वो पहले वाली बात
शायद समय बहुत आगे बढ़ गया
और तू अब बूढ़ा हो गया।