इतिहास झूठ, प्रपंच और क्या...?
इतिहास झूठ, प्रपंच और क्या...?
जो इतिहास मिथ्या, मिथक, और प्रपंच का
नशा फैलाता हो ।
जो इतिहास रक्त पिपासु बलातकारियों को
सर पर बैठाता हो ।
जो इतिहास अपने रण बांकुरों को
हरदम ठेंगा दिखलाता हो।
जो इतिहास अपनी सभ्यता संस्कृति का
रोज उपहास उड़ाता हो ।
जो इतिहास मुगलों, तुर्कों, अरबों को
स्वर्णिम युग बताता हो।
जो इतिहास विध्वंश मंदिरों के शिखरों पर
स्थापत्य सजाता हो।
जो इतिहास कामी, वहशी डरपोक अकबर को
सदा महान बताता हो।
जो इतिहास युद्धों में षड्यंत्र की
खूब महिमा गाता हो।
जो इतिहास ढोंगी मक्कार सूफियों को
संत बताता हो।
जो इतिहास दुर्दांत हत्यारों की यहां वहां
मजारें सजाता हो।
जो इतिहास लाशों पर चढ़कर
गंगा जमुनी तहजीब का राग हमेशा गाता हो।
जो इतिहास समाजों को लड़वाकर
सदा विद्वेष फैलाता हो।
जो इतिहास सच को झूठ और
झूठ को सच बताता हो।
जो इतिहास सनातन को मिटाने का
सपना संजोए रहता हो।
जो इतिहास सत्य सनातन की महिमा से
सदा खौफ खाता हो।
जो इतिहास गलत परिपाटी का
हरदम पाठ पढ़ाता हो
जो इतिहास चिल्ला चिल्ला कर
अपना ही मखौल उड़ाता हो।
ऐसा इतिहास झूठ फैलाकर
कब तक अस्तित्व में रह पाएगा
खाक होकर मिट्टी में
खुद ब खुद दफ़न हो जायेगा।