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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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रावण

रावण

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रावण ने पूछा सबसे,

क्यों जला रहे ही मुझको,

क्या तुम सब हो वानर ,

निश्चल मन से राम की सेना।

विजयादशमी के उल्लास में,

रावण दहन किया सबने,

कुछ ने थी मदिरा चढ़ाई,

कुछ थे खुद आताताई।

जलता रावण फिर गरजा,

बिन बदली वह बरसा,

पूछ रहा हूं तुम सबसे,

क्यों जलाते हो मुझको ।

एक कहा तुम हो दानव,

सीता का तुमने हरण किया था,

राम को तुमने दिया था त्रास,

वध किया था राम ने तब।

तुम में से हैं राम कौन,

मुझको जरा बतलाओ तो,

मुझको जलाने से पहले,

खुद मर्यादा में रहकर दिखाओ तो।

मन में सबके रावण है,

किसी का मन नहीं पावन है,

राम का नाम धूमिल ना कर,

पहले दिखलाओ कुलीन बन कर।

रावण धू धू कर जल रहा,

लोगों को देख रहा जल भुन,

कैसे हैं ये मूर्ख मानव,

करने चले हैं राम की बराबरी ।



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