लेखक की प्रेमिका
लेखक की प्रेमिका
एक लेखक से तंग आकर,
उसकी प्रेमिका छोड़ गई,
अपनी लेखन को पूरा करने में,
लेखक की दुविधा बढ़ गई।
प्रेरणा थी वह उसकी,
देख उसे वह लिखता था,
कुछ छोटे छोटे शब्दो को,
मोती जैसे पिरोता था।
प्रेमिका के जाने से उसका,
दिमाग हो गया कुंद,
कितना भी उसने सोचा पर,
ना निकला एक भी छंद।
वह पहुंचा उसके पास,
हाथ जोड़कर खड़ा हुआ,
क्यों नाराज हुई तुम देवी,
मेरी खो गई सारी खूबी।
प्रेमिका तुनक कर बोली,
तुम्हारी प्रेमिका तो,
कविता और कहानी है,
तुम्हारी वही प्रेम रूहानी है।
लेखक बोला,सच कहा,
अगर वो प्रेम रूहानी है,
तो तुम भी मेरी रवानी हो,
मेरी कविता की दीवानी हो।
प्रेमिका बोली रूठ कर,
ना रहेंगे एक म्यान में दो तलवार,
लेखक निकल पड़ा फिर से,
ढूढने कोई नई पतवार।
