तुम आसरा हो जिंदगी का, दिव्य दीपक त्रास कर। तुम आसरा हो जिंदगी का, दिव्य दीपक त्रास कर।
कभी गुस्से में खुद ही दबा देती है, कभी रो रो कर धुंधला देती है। कभी गुस्से में खुद ही दबा देती है, कभी रो रो कर धुंधला देती है।