आ जाओ न...
आ जाओ न...
परछाइयों में छिपी तस्वीरें खोजता हूँ मैं,
कहानियों में खोजता हूँ ज़िन्दगी की तस्वीरें,
तनहाइयों की परछाइयाँ बड़ी लम्बी होती हैं.
भीड़ में एक छोटी सी परछाईं ढूँढता हूँ मैं.
हज़ारों तस्वीरें बिखरी हैं यहाँ मेरे आस-पास.
कोई भी मिलती नहीं तुम्हारे कोरे चेहरे से,
तुम्हारा चेहरा बसा है मेरे दिल के आँगन में,
और कोई बसती नहीं मन के रंगीन दामन में.
आ जाओ बस, देर न करो,मुझे लाचार न करो,
बन जाओ मेरी रहनुमा'शील'मुझे बेज़ार न करो.

