आ जाओ क्षण भर
आ जाओ क्षण भर
तुम जो साथ नहीं तो,
आकाश का सूनापन,
मन मेरा निर्जन वन,
आ जाओ क्षण भर,
कर दो मन खंडन।
तुम जो पास नहीं तो,
ये सागर सी गहराई,
जैसे रात्रि की तन्हाई,
आ जाओ क्षण भर,
दे दो अपनी नरमाई।
तुम्हारा अहसास नहीं तो,
पर्वत सा ठहराव,
सारे तुम्हारे भाव,
आ जाओ क्षण भर,
भर दो सारे घाव।
तुम जो रूठे तो
चाँद का मुस्काना,
यूँ मुझे जलाना,
मुस्कुरा दो क्षण भर,
फिर आकर मुझे मनाना।
तुम्हारा जो आभास नहीं तो,
ये हवा इतराती,
पल पल मुझे तड़पाती,
आ जाओ क्षण भर,
बेचैनी मिट जाती।
तुम जीवन नहीं तो,
ये दिल की धड़कन,
पल-पल करती अनबन,
आ जाओ क्षण भर,
खुशी से भर दो दामन।।

