STORYMIRROR

Meera Raikwar

Children

3  

Meera Raikwar

Children

52 weeks writing challenge 4

52 weeks writing challenge 4

1 min
167

पिता की प्यारी

नन्ही दुलारी

कांधों पर बैठी

गुड़िया प्यारी

न पैर में पैजार 

न शरीर पर 

अंगवस्त्र

थक न जाये

सोचा पिता ने

प्यार से कांधे पर

बैठा कर निकल पड़ा

गंतव्य की ओर

कांधे पर निश्चिंत

बैठी नन्ही बिटिया

देख रही जग सारा

सुरक्षित हूं मैं 

सोच रही नन्ही बाला 

पापा के कांधे पर बैठ

क्या हुआ

जो न मेरे

तन पर कपड़े

पापा ने भी 

पहने कौन से

नये कपड़े

प्यार से बढ़कर 

कुछ न दूजा 

सोच रही 

नन्ही बाला



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children