52 weeks writing challenge 4
52 weeks writing challenge 4
पिता की प्यारी
नन्ही दुलारी
कांधों पर बैठी
गुड़िया प्यारी
न पैर में पैजार
न शरीर पर
अंगवस्त्र
थक न जाये
सोचा पिता ने
प्यार से कांधे पर
बैठा कर निकल पड़ा
गंतव्य की ओर
कांधे पर निश्चिंत
बैठी नन्ही बिटिया
देख रही जग सारा
सुरक्षित हूं मैं
सोच रही नन्ही बाला
पापा के कांधे पर बैठ
क्या हुआ
जो न मेरे
तन पर कपड़े
पापा ने भी
पहने कौन से
नये कपड़े
प्यार से बढ़कर
कुछ न दूजा
सोच रही
नन्ही बाला
