Shailaja Bhattad
Tragedy
आजादी में 200 साल लगे नहीं होते।
जिंदगी में गर शतरंज के नियम होते ।
राम धुन अनमोल...
श्रीराम जय रा...
करवा चौथ
शरद पूर्णिमा ...
सत्संग
माँ शाकम्भरी
जय अंबे मात
माँ ब्रह्मचार...
माँ अम्बे भवा...
माता की हुंका...
जब पहेली ही बार शोषण होता देख, क्यूं ना कोई बोला था ? जब पहेली ही बार शोषण होता देख, क्यूं ना कोई बोला था ?
मैं भी चाहता हूँ उड़े वो मस्त तितली की तरह क्या करूँ बेटी का बाप हूँ बहुत डरता हूँ। मैं भी चाहता हूँ उड़े वो मस्त तितली की तरह क्या करूँ बेटी का बाप हूँ बहुत डरत...
सभी तरह की कामों में बाधा का सृजन किया था। सभी तरह की कामों में बाधा का सृजन किया था।
लगाकर पैसों की टोटी पाई दो वक्त की रोटी। लगाकर पैसों की टोटी पाई दो वक्त की रोटी।
बेवजह ढूंढती हैं नज़रें उन आँखों की नमी को जिसे उसी दिन मैं खुदा के हवाले छोड़ आया था। बेवजह ढूंढती हैं नज़रें उन आँखों की नमी को जिसे उसी दिन मैं खुदा के हवाले छोड...
हाँ! वही घंटो तक बैठा रहता हूँ। जनता हूँ तुम मेरे पास अब नहीं आओगी किसी और की जो हाँ! वही घंटो तक बैठा रहता हूँ। जनता हूँ तुम मेरे पास अब नहीं आओगी किसी...
निकल पाती ही नहीं कहीं मैं घर से चाहूँ जितना, डर का मेरे खुले बाज़ार में लगाता मोल निकल पाती ही नहीं कहीं मैं घर से चाहूँ जितना, डर का मेरे खुले बाज़ार में लगात...
चिन्दी-चिन्दी तार-तार घायल लथपथ अस्तित्व में ! चिन्दी-चिन्दी तार-तार घायल लथपथ अस्तित्व में !
मासूम ने उनको समझा अपना भाग्य ने छीन लिया बचपन ले गये दूसरे शहर मारा ,पीटा रोया। मासूम ने उनको समझा अपना भाग्य ने छीन लिया बचपन ले गये दूसरे शहर मारा ,पी...
क्योंकि खुद के आशियाने को बर्बाद करके तुम लोगों के घरों को आबाद करती हूँ। क्योंकि खुद के आशियाने को बर्बाद करके तुम लोगों के घरों को आबाद करती हूँ।
एक कोढ़ की भांति हर व्यवस्था और समाज को निगल लिया है धार्मिक कट्टरता के अजगर ने । एक कोढ़ की भांति हर व्यवस्था और समाज को निगल लिया है धार्मिक कट्टरता के अजगर ...
उस रोशनी का बुझना भी पहले से तय था हम ये जान के भी अनजान बने रहे। उस रोशनी का बुझना भी पहले से तय था हम ये जान के भी अनजान बने रहे।
क्योंकि किसी के प्रति बनने वाली राय सहज नहीं मिटती। क्योंकि किसी के प्रति बनने वाली राय सहज नहीं मिटती।
पर कहाँ, छू ही नहीं पा रही है। पर कहाँ, छू ही नहीं पा रही है।
काश हम सब अपना विवेक जगायें मर ना जाए इंसानियत पहले उसको बचायें। काश हम सब अपना विवेक जगायें मर ना जाए इंसानियत पहले उसको बचायें।
आज यूं ही मुझे अकेला नहीं छोड़ के गई होती। आज यूं ही मुझे अकेला नहीं छोड़ के गई होती।
किसी और को फ़िर से रुलाना मत किसी और को अपने झूठे वादे बतलाना मत किसी और को फ़िर से रुलाना मत किसी और को अपने झूठे वादे बतलाना मत
यह किसी और का नहीं बदलते जमाने का दाेष है सारा ! यह किसी और का नहीं बदलते जमाने का दाेष है सारा !
आदिवासियों के रोने की आवाज़ लड़ाई की शोर से दब गयी है। आदिवासियों के रोने की आवाज़ लड़ाई की शोर से दब गयी है।
अपनों को खो कर खुद को यूँ तोड़ कर। अपनों को खो कर खुद को यूँ तोड़ कर।