Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Noorussaba Shayan

Crime Inspirational Others

3.3  

Noorussaba Shayan

Crime Inspirational Others

लाड़की

लाड़की

4 mins
8.0K


आज मैं अपनी बेटी को विदा करके लौटा तो घर सन्नाटों में डूबा हुआ था, दुनिया वीरान लग रही थी। बेटियों से रौनक होती है, चिड़ियों की तरह चहकती फुदकती हमारे घर आँगन में बहार ले आती हैं। इसमें नया क्या है, प्रत्येक पिता को अपनी बेटी की विदाई पर ऐसा ही लगता है। जिसे मैंने विदा किया है वो कौन थी, मेरी बेटी या मेरे बेटे की माँ, इन्ही ख्यालों गुम मैं पिछले दिनों के समंदर में डूब सा गया था।

आसमान से बादल का टुकड़ा मेरे हाथों में रख दिया था, इतनी कोमल, इतनी प्यारी इतनी मासूम थी मेरी परी। उसे जब घर लाया था जन्म के बाद तब मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, पूरा घर खिलौनों से भार दिया था।

"बांवरा हो गया है, अभी से खेलेगी वो खिलौनों से, व्यर्थ के पैसे ख़र्च कर रहा है," अम्मा ने ताना भी मारा।

जल्द ही उसकी किलकारियों से घर गूंजने लगा था, उसका आखें मटका कर बातें करना हम सब का मन मोह लेता था। अब मनोरंजन के लिए टेलीविज़न की आवश्यकता नहीं थी, उसकी बातें, उसका गाना, उसके साथ खेलना, उसका गुस्सा हो जाना फ़िर ख़ुद मान जाना, दिन कहाँ बीत जाता पता ही नहीं चलता था। समय बहुत तेज़ी से निकल रहा था और फिर हमारी गुड़िया दीदी बन गयी। नन्हें से रोहित को जब घर लाये तो उसने बड़े दिल से अपने खिलोने बाटें, कमरे में ही नहीं दिल में भी जगह दी, और रौब से कहा "मैं तुम्हारी बडी दीदी हूँ, मैं तुम्हारा ध्यान रखूंगी और तुमको मेरी प्रत्येक बात माननी पड़ेगी।" हम सभी के हंसी के फुहारे छूट गए।

जीवन अपनी गति से सुखमय बीत रहा था, गुड़िया अब खिलोने से न खेल खेल कर कंप्यूटर पर प्रोजेक्ट बनाने लगी थी। उसकी माँ उसे प्रायः टोकती "पंद्रह की होने आयी है और एक प्याला चाय तक नहीं बनाना आता" और वो रूठ कर मेरे पास आती और इतरा कर कहती "सब आता है पर अभी बनाने का मन नहीं है> " मैं भी उसी का साथ देता। उसे भी अपनी माँ के बिना चैन नहीं था, स्कूल से घर आये और माँ न दिखे तो उतावली हो जाती, ओर हमेशा कहती, "मेरे आने से पहले आप वापस क्यों नहीं आ जाती हैं, आपके बग़ैर घर घर जैसा नहीं लगता।

वो भी एक ऐसी ही शाम थी जब वो घर आयी और अपनी माँ को घर में नहीं पाया, और चिल्लाई "मम्मा कहाँ है पापा ?"

'बाहर गयी हैं, आती ही होगी ।" मैंने कहा.

"आप उनको इस समय बाहर मत जाने दिया करिए", वो बोली।

मैंने प्यार से बोला "ताज गयी हैं, अपनी किसी मित्र से मिलने, थोड़ी देर से आ जायेगी।

परन्तु उसे तसल्ली नहीं हुई, मोबाइल पर बार बार फ़ोन लगाने लगी। "पता नहीं बैग किस कोने में रखा है फ़ोन, फ़ोन उठा ही नहीं रहीं हैं"

मैंने समझाया, "बातों में लगी होगी, आ जायेगी।"

काफी समय बीत गया, उसका फ़ोन नहीं आया और वो भी नहीं आयी। कुछ देर बाद टीवी पर समाचार आया कि कुछ आतंकवादियों ने ताज होटल में घुस कर अँधाधुंध गोलियां चलायी, बहुत लोग मारे गए हैं। हमारे पैरों के निचे से ज़मीन ख़िसक गयी, आखों के सामने अँधेरा छा गया।

तीन दिनों तक भागते, दौड़ते अपनी बीवी की अंतिम यात्रा में निकल गया। जब थोडा सम्भला तब अपने बच्चों पर ध्यान गया, मेरे पंद्रह साल की बेटी अचानक से पच्चीस की हो गयी थी। अपनी माँ को आस पास न पा कर बेचैन होने वाली अब घर संभालने में लग गयी थी, छोटी छोटी बातों पर माँ को पुकारने वाली सभी का ख़्याल रखने लगी थी। उसका अल्हड़पन, उसका मुस्कुराना जैसे उसकी माँ के साथ ही चला गया था। जिसे अपने कपड़ों, किताबों का ध्यान नहीं होता था वो अब मेरी दवाइयों और चाय का ख़्याल रहने लगा था। जिसके गले से रोटी का जला हुआ टुकड़ा भी नीचे नहीं उतरता था वो अब चुपचाप कच्ची, जली रोटियां खाने लगी थी। रोहित की पसंद नापसंद का ध्यान होने लगा था। उससे बात बात पर लड़ने वाली दीदी अब उसकी माँ बनने की कोशिश कर रही थी।

इस घर से रौनक खुशियां तो छब्बीस नवंबर को ही चली गयी थी, आज तो इस घर का ध्यान रखने वाली अपने घर चली गयी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime