Noorussaba Shayan

Drama

5.0  

Noorussaba Shayan

Drama

आँखें मुस्कुराने लगी

आँखें मुस्कुराने लगी

3 mins
284


हर तरफ  रौशनी, म्यूजिक, म्यूजिक पे थिरकते कुछ लोग, पीने पिलाने का माहौल, बातें,हर किसी के हाथ में एक गिलास, एक मुस्कान सच्ची या झूठी पता नहीं, और तितली की तरह इधर से उधर मंडराती लड़कियां।दूसरे कोने में लड़कों का ग्रुप और ज़ोरदार ठहाकों की आवाज़। सभी खुश लग रहे हैं, ऐसे माहौल का उठा रहे हैं सिवाय मेरे। कॉर्पोरेट ज़िन्दगी  मैंने हमेशा से चाही और मिली भी पर ये पार्टीज, ये  बिलकुल अच्छी नहीं लगती। यहाँ आ कर में बहुत awkward  और अकेला महसूस करती हूँ और अब भी  में एक जूस का गिलास लिए इन सब से अलग थलग   तालाब नुमा जगह पर अकेले घूम रही हूँ। माँ से बात कर ली, एक दो दोस्तों को फ़ोन भी लगा लिया, पर जैसे ये वक़्त तो थम सा ही गया है। आते जाते जो भी मुझे देखता उनमें शामिल होने को कहता पर में आती हूँ बोलकर जान छुड़ा लेती हूँ। हर कोई मेरी तारीफ ही कर रहा है, आज मेरा presentation बहुत अच्छा था। में यहाँ अपनी बॉस के साथ अपने प्रोजेक्ट को रिप्रेजेंट करने आयी थी |काम से रिलेटेड सब कुछ अच्छा था, बड़े बड़े लोगों से मिलना काफी अच्छा लगा बस ये party रास नहीं आती और सुषमा मैडम भी सुबह से साथ लिए घूम रही थी जब काम था और यहाँ तो पूछ भी नहीं रही | मैंने चीड़ कर सोचा।

hai कुसुम! " पीछे से किसी ने आवाज़ लगाई। मैंने मुड़ कर देखा तो उस शख्स को पेहचान नहीं पा रही थी, इसलिए सिर्फ मुस्कुरा दी। "आप तो बिलकुल छाए हुए हो, हर जगह आप ही के चर्चे हो रहे हैं, your presentation was too good” उसने हाथ मिलाते हुए बधाई दी। मैंने मुस्कुरा कर शुक्रिया कहा| "में नीरज " उसने अपना introduction दिया "अच्छा आप हैं नीरज, काफी टाइम से हम लोग साथ में काम कर रहे हैं, पर देखिये आज यहाँ ऐसे मिलना हुआ ", मैंने कहा ! "आप से मिलकर बहुत ख़ुशी हुई आप दिल्ली से ही हैं ", उसने पुछा | "नहीं में हरियाणा से, और आप ?" मैंने अपना बताते हुए उसके बारे में पुछा। "में UP से " उसने बताया। "अरे आप तो हमारे पडोसी ही निकले, फिर हैदराबाद कैसे पहुँच  गए ?" मैंने पुछा  "बस किस्मत ले गयी ", उसने कंधे उचका कर कहा।

बातों का ऐसा सिलसिला शरू हुआ की वक़्त का पता ही नहीं चला।काफी (अट्रैक्टिव पर्सनालिटी) आकर्षित व्यक्तित्व था उसका और उससे भी कहीं ज़यादा आकर्षित थी उसकी बातें। डिनर के बाद जब में अपने कमरे में लौटी तो बहुत अच्छा लग रहा था जैसे आज  किसी दोस्त से मुलाकात हो गयी।

हालांकि नीरज मुझसे रोल में एक लेवल ऊपर था पर उसका अपनापन देख कर ऐसा लगा नहीं जैसे कोई मैनेजर हो। काफी friendly था वो | Age और experience में भी लगभग same ही था। में एक product को lead कर रही थी जिसमें  बहुत सारे और products भी involve होते थे उन 

 सभी products के group को नीरज मैनेज करता था। कोई भी नई development करने से पहले इन सभी प्रोडक्ट्स के साथ synchup करना पड़ता था और वो सारे नीरज  के पास ही थे इसलिए अलग अलग  एक एक से कनेक्ट करने की बजाये नीरज के साथ ही synchup कर लेती थी। काम आसानी से और जल्दी हो जाता था |वो भी पूरा cooperate करता और हमारे काम की बहुत सराहना होती।

हम लोग का ताल मेल पहले भी अच्छा था पर एक दुसरे से मिलने के बाद तो काम करने में और भी ज़्यादा मज़ा आने लगा।वैसे तो अब तक भी हमारे बीच प्रोफेशनल टॉक्स ही होती थी पर फिर भी हसीं मज़ाक का मौका ढूंढ ही लेते थे|इस आरसे में हम एक दुसरे के बारे में काफी कुछ जान गए थे जैसे नीरज को फुटबॉल का शौक है, उसकी मम्मी एक डॉक्टर हैं वगैरह वैज्ञारह और ये भी की में बहुत ही   सिंपल सी इनोसेंट सी लड़की हूँ जो इस कॉर्पोरेट में अपनी क्वॉलिफिकेशन्स की वजह से थी और जिसे कॉर्पोरेट पॉलिटिक्स से कोई  वाबस्तगी नहीं थी तभी एक नई रेक्विरेमेंट समझने के लिए मुझे हैदराबाद जाना था  में वहां जाने के लिए काफी excited थी।हैदराबाद के ऑफिस पहुँचते ही नीरज ने बहुत तपाक से स्वागत किया एक चाय का कप भी मुझे नहीं लेने दिया, मैंने बोला तो कहने लगा "अतिथि देवो भाव " एक दिन के लिए तो आयी हैं कुछ तो सेवा का मौका दीजिये। उसकी हर बात मेरा मन मोह रही थी। चाय का कप मैंने जैसे ही होटों पे लगाया तो एकदम से बोल पड़ा "ध्यान से, बहुत गरम है " और मुझे हंसी  आ गयी। क्या ये सच में इतना ध्यान रखता है सबका, या में कुछ ख़ास हूँ। इतनी ज़्यादा केयर, अपनापन, में सरशार हो गयी। उस पर उसका आँखों से बहुत कुछ कह जाना। ये सब सच था या मेरा ख्याल, में ऐसी कई खुशफहमी लेकर वापस आ गयी।

नया काम ज़ोरो पर था। काफी कम समय में बहुत कुछ करना था और हमारा पिछले काम देखते हुए हमसे उमीदें भी ज़्यादा थी। मुझे एक अर्जेंट इनफार्मेशन चाहिए थी, कुछ बग्स फिक्स करने के लिए synchup call भी ज़रूरी था मेल्स डालने के बाद भी रिप्लाई नहीं आ रहा था। मैंने नीरज के mobile पर ही कॉल  कर लिया और बोला ये बहुत ज़रूरी है इसे high priority पे लिया जाए, उसने बेरुखी से जवाब दिया “में बहुत सारी चीज़ें एक साथ देखता हूँ सिर्फ यही नहीं है मेरे पास, मेरी टीम के दुसरे लोग हैं इसमें काम  करने के लिए, आप उनसे कांटेक्ट कर लें ”|उसका हर एक लफ्ज़ तीर सा लगा मानो  बता रहा हो की वो मुझसे एक  level ऊपर है मेरी बॉस के लेवल का। मेरे level के कामों के लिए उसके पास टाइम नहीं है। Mere selfrespect को बहुत ठेस पहुंची और सोच लिया की जब तक वो  खुद बात न करे में उस से  कोई बात नहीं करूंगी मैंने दुसरे लोगों से कांटेक्ट किया synchup और bug fixing मुश्किल पड़ा पर टाइम  पर delivery हो ही गयी। इतने दिनों की मेहनत रंग ले आयी। पर कई दिनों से नीरज से कोई बात नहीं हुई थी “आखिर कितना busy है, एक बधाई भी नहीं  दे सकता “ मैंने सोचा। दुसरे दिन सुषमा मैडम ने बताया “Customer बहुत खुश है और इसका credit कुसुम को ही है नीरज भी बहुत तारीफ कर रहा था और अगले हफ्ते वहां client आ रहे हैं जिसके लिए मुझे और कुसुम को वहां जाना है ”| इतनी तारीफ सुनकर भी ख़ुशी नहीं हुई।  “नीरज के पास सुषमा मैडम से बात करने का टाइम है पर मुझे एक message डालने की भी फुर्सत नहीं, हाँ भाई बड़े लोग बड़े लोगों से ही बात करेंगे। मैंने चीड़ कर सोचा और अगले दिन अपने न  जाने के कुछ बहाने बताये जो की सब रद्द हो गए इस एक बात पर की नीरज ने तुम्हारा आना एकदम ज़रूरी बोला है “उस नीरज की तो हर बात मानी जानी ज़र्रोरी थी ", मैंने गुस्से में सोचा।

में उदास मन से सुषमा mam के साथ फ्लाइट में बैठ गयी। वहां पहुँचने पर नीरज ने फिर से बड़े तपाक से हम दोनों का स्वागत किया पर ज़्यादा ध्यान सुषमा mam पर ही था  “बड़े लोग और उनके चोचले “, मैंने मन में सोचा। फिर में presentation की तैयारी में लग गयी और क्लाइंट के सामने भी presentation काफी अच्छा रहा। काफी तारीफें बटोर कर हम लोग lunch के लिए कैंटीन चले गए। नीरज भी आया सबने साथ में lunch किया पर उसका ध्यान अब भी सुषमा mam पर ही था। मेरे अंदर बहुत कुछ सुलग उठा। नीरज का इस तरह इगनोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। में सर दर्द का बोलकर कैंटीन से बहार निकल आयी और यूँ ही बेख्याली में इधर उधर घूमती रही |नया ऑफिस नयी जगह कुछ पता नहीं था कहाँ जा  रही हूँ | बस जहाँ रास्ता दिखा चलती चली गयी। और एक कोने में बैठकर अपने अंदर का सारा गुबार आँखों के ज़रिये बहा दिया बहुत देर बाद होश आया तो समझ नहीं आया की कहाँ हूँ। घबरा कर घडी देखि तो बहुत time हो चूका था | कमरे में काफी अँधेरा था , शुक्र था की mobile का network था तभी mobile बजा  उधर से सुषमा mam थी, पूछ रही थी कहाँ हो ? मैंने कहा आ रही हूँ तो उन्होंने जल्दी आने को कहा और बताया की वो क्लाइंट के साथ कुछ और डिसकशंस के लिए जा रही हैं, में भी वहीँ आ जाओं। मैंने हाँ कह कर फ़ोन रख दिया आँख उठा कर जायज़ा लिया तो में किसी बड़े से store room में थी जो की अब लॉक कर दिया गया था ।मैंने बहार निकलने के  लिए door knock किये कुछ आवाज़ें लगाई पर  वहां कोई नहीं था। Mobile की light से थोड़ी रौशनी कर ली थी मैंने फिर भी काफी डर लग रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करून न चाहते हुए भी नीरज को phone करना पड़ा उसने phone उठाते ही फ़िक्र से पुछा “कहाँ हैं आप ”|“पता नहीं ” मैंने धीरे से जवाब दिया ।उसने कन्फ्यूज्ड सा  कहा “क्या मतलब, आप office premise के   अंदर ही हैं न ”| मैंने कहा ”हाँ, पर कहाँ हूँ कुछ समझ  नहीं आ रहा है | एक बड़ा सा store room है पर वो locked है तो please आपकी हेल्प चाहिए थी ” “ठीक है में आता हूँ आप अपना location on करके मुझे सेंड कीजिये ” उसने थोड़ा सा गुस्से से कहा। मैंने उसकी हिदायत के  मुताबिक़ location भेज दिया। थोड़ी ही देर में वोट एक security guard के साथ उस स्टोर रूम  में पहुँच गया था। मुझे देखते ही साथ उसने गुस्से से पुछा “ आप यहाँ क्या कर रही हैं और यहाँ कैसे पहुंची ”|मैंने भी एक तीखी नज़र उस पर डाली पर चुप ही रही। “मैंने कुछ पुछा आपसे ” उसने दांत पीस कर फिर कहा  आप मेरे boss या supervisor नहीं जो में आपको answer दूँ। मैंने भी उसे गुस्सा दिखते हुए कहा और तेज़ी से आगे निकल गयी। इतने तेज़ कदम बढ़ाये की वहां पे एक सीढ़ी थी ये दिखा ही नहीं और में लड़खड़ा गयी। नीरज आगे बढ़ा सँभालने को पर उस से  पहले ही में खुद को सम्भलने के लिए दीवार का सहारा ले चुकी थी। पर इसमें मेरे हाथ में दीवार से बड़ी ज़ोर से चोट लग गयी। दर्द की शिद्दत से मेरा चेहरा लाल हो गया और में वहां से तेज़ी से निकल गयी। रास्ता समझ में आते ही सीधा ऑफिस के वाशरूम में चली गयी। कोहनी से खून बह रहा था उसे साफ़ करती रही पर सच मनो तो दिल का गुबार अब भी आँखों से बह रहा था। जिसे अपने कितने क़रीब समझा था वो उसे ऐसे ignore करेगा ये उसने सोचा नाही था  वो  10 min बाद washroom से  बहार आयी तो नीरज बाहर खड़ा उसका wait कर रहा था | उसे इसकी बिलकुल उम्मीद नहीं थी।नीरज ने आगे बढ़ कर रूमाल से उसकी कोहनी से निकलते हुए खून को रोकना चाहा  पर उसने उसे वहीँ रोक दिया। “में ठीक हूँ “ और उसे तेज़ नज़रों से घूरती रही जैसे कह रही हो जब परवा नहीं है तो दिखा क्युओं रहे हो। नीरज ने हक़ से  आगे बढ़ कर उसके हाथ में ज़बरदस्ती रूमाल लगा कर  धीरे से कहा “I am sorry, I have hurted you but how I still don’t know”|इतना सुनते ही  उसकी आँखों से दो आंसूं बाहर निकल आये। अपनी उंगली के पोरों  से उसे पोछते हुए नीरज ने फिर कहा “Please talk to me, please “ उसने हाँ में सर हिला दिया। नीरज ने  पहले उसे reception पे ले जा कर  first aid करवाया और फिर चाय के लिए canteen न जा कर बाहर के कैफेटेरिया में ले गया | कुर्सी खेंचकर उसे बैठते हुए चाय और sandwich order कर के उसकी तरफ मोतवज्जह हुआ। “अब ज़रा खुल कर बताइये क्यों नाराज़ हैं आप मुझसे ”।उसने धीरे से बड़े ही ठहराव के साथ कहा और कुसुम को पूरी तरह अपनी आँखों के घेरे में ले लिया, जैसे इससे ज़्यादा important उसके लिए और कुछ भी नहीं। कुसुम का गुस्सा थोड़ा पिघल गया था फिर भी गुबार बाक़ी था। मैंने आपसे जब synch up call के लिए कहा तो आपने कह दिया,”I have many more important things to do” जैसे ये इम्पोर्टेन्ट नहीं है या में important नहीं हूँ, मैंने शिकायती लहजे में कहा। नीरज बड़े इत्मीनान से मुस्कुराया जैसे वो बैठा ही है आज सारे गीले शिकवे दूर करने और बोला “गलत नहीं कहा था सच में बहुत work pressure था, और एक SPOC भी assign,किया था specially फॉर यू जिससे आपका काम delay ना हो।पर आप से गलत अंदाज़ में कह दिया I m sorry I am really sorry “ में कहाँ इस एक sorry पे मैंने वाली थी इल्ज़ामों की लम्बी फेहरिश्त थी उसके पास। गुस्से में उसने फिर कहा “यही नहीं सब कुछ होने के बाद भी आपको इतनी  फुर्सत नहीं मिली की एक अप्प्रेसिअशन ही भेज देते, एक message ही कर देते, पर sushma mam से बात करने की फुर्सत है, क्यों नहीं Manager हैं वो भी एक manager एक manager से ही बात करेगा, मुझसे बात करने का क्या बेनिफिट “ ये सुनकर नीरज हंसने लगा जिससे देख कर कुसुम गुस्से में वहां से जाने को खड़ी हो गयी। नीराज ने उसका हाथ पकड़ कर उसे बिठाया। और पुरसुकून लहजे में कहा “और कोई इलज़ाम “ मैंने  नहीं में सर हिलाया “सोच लीजिये क्युओंकी इस के बाद में कहूंगा और आप सुनेंगी, ठीक है और फिर फैसला भी आप ही करेंगी “ उसने बड़े प्यार से कहा। में ख़ामोशी से सुनने लगी। “Deployment बहुत smooth हुआ सब तरफ इस smooth deployment की चर्चा थी ।वजह में जानता था, आप का coordination, इसलिए credit भी आप ही को दिया। में  आपको अप्प्रेसियते करता उससे क्या फरक पड़ता में आपका boss नहीं हूँ। हाँ में आपकी बॉस के सामने आपकी तारीफ करता तो फरक पड़ता आपके appraisal में, आपके promotion में।  Next month due है न आपने बताया था। में चाहता था client के सामने हमारी team से आपको ही represent किया जाए और ये सब तो Sushma mam से कहता तो ही effective होता। आपके appraisal और promotion की फ़िक्र भी तो  मुझे ही करना है न। आप ही बताइये मेरा आपको पर्सनली appreciate करना important था या आपकी boss को आपके काम के बारे में बताना ज़्यादा valuable था “? उसने मुझसे सवाल  किया। मुझको personally करना में तपाक से बोली जिस पे नीरज बेसाख्ता हंस दिया और गहरी नज़रों से मुझे देखते हुए बोला, "अभी कर देता हूँ"। में अपनी बेवकूफी पर झेंप गयी। आँखों का सारा गुस्सा उड़न छू हो गया और आँखें फिर से मुस्कुराने लगीं। जिसे देख कर नीरज ने बड़े ही शौख लहजे में कहा " लोगों को होठों से मुस्कुराते बहुत देखा है आप पहली हैं जो आँखों से मुस्कुराती हैं। ये सुनकार मेरा चेहरा फिर लाल हो गया पर अब की बार हया के रंग से।


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