Noorussaba Shayan

Drama

4.9  

Noorussaba Shayan

Drama

अब मैं हूँ मेरी जैसी

अब मैं हूँ मेरी जैसी

6 mins
417


नया शहर, नया ऑफिस, हिचकिचाहट होना नार्मल था। में अपनी डेस्क पर कम्फर्टेबले हो ही रही थी की किसी ने बड़े चाव से गुड मॉर्निंग कहा जैसे वाक़ई सुबह कितनी अच्छी हो। मेरे देखते ही पुछा " new इन ऑफिस "। मैंने हाँ में सर हिला दिया। तो वो तपाक से बोला " no worries, सभी कभी न कभी new होते हैं फिर अपने हो जाते हैं, I am रितेश"। उसने हाथ बढ़ाया तो मैंने भी हाथ मिलाते हुए अपना नाम निराली बताया। बड़ा ही दिल फरेब अंदाज़ था उसका, अच्छा लगा मुझे।

फिर तो जैसे वो रोज़ ही आ कर गुड मॉर्निंग कहता, और मुझे भी उसके गुड मॉर्निंग के बगैर काम स्टार्ट करने का मन नहीं करता। एक हफ्ते ये सिलसिला चला फिर १२ बजे तक भी वो गुड मॉर्निंग कहने नहीं आया तो मेरी निगाहें उसे ढूंढने लगी तभी पता नहीं कहाँ से आ गया और बोला गुड आफ्टरनून। में सकपका गयी तो हस्ते हुए बोला "caught you, मुझे ही ढूंढ रही थी न, i know that। एक्चुअली मेरी timings चेंज हो गयी है "। गज़ब confidence है मैंने सोचा पर कहा कुछ नहीं। अच्छा लगता था मुझे उसका यूँ आना कुछ बातें करना और चले जाना। बहुत जल्दी हमारी दोस्ती हो गयी। इतनी जल्दी में किसी के साथ इतनी सहज होती नहीं थी पर हो गयी। हम लोगों का लंच tea अक्सर साथ में होने लगा। एक दिन मुझसे कहने लगा इतनी खुश कैसे रह लेती हो, इतनी मुत्मइन इतना सुकून कहाँ से लाती हो, जैसे सब कुछ है तुम्हारे पास। "जिसके पास तुम हो उसे और क्या चाहिए " में आँखें मटका कर बोली तो वो हंस दिया। " घर है, दोस्त हैं, छोटे शहर से हूँ जॉब करना चाहती थी वो भी मिल गया, और क्या चाहिए। i am happy।" मैंने कहा। इसे तुम जॉब कहती हो, ये तो बस काम चलाऊ है।

मैं तो आसमान छूना चाहता हूँ " उसने कहा ।" रुकना में भी नहीं चाहती आगे बहुत कुछ करना है पर आने वाले पलों की हसरतों में आज की ख़ुशी को क्यों कम करूँ"। मैंने होले से कहा तो उसने हाँ कहते हुए मेरी आँखों में देखते हुए बोला " काफी गहरी हो तुम "। तारीफ थी या तंज़ पता नहीं पर मुझे अच्छा लगा उसकी हर बात अच्छी लगने लगी थी। शायद यही प्यार था। उसे हमेशा बड़ी बड़ी चीज़ें अच्छी लगती, बड़ी गाडी, बड़ा घर, ब्रांडेड कपडे घड़ियाँ,सब कुछ। एक दिन मैंने उससे पूछ ही लिया।" सब कुछ hifi पसंद है में small town girl कैसे पसंद आ गयी "। तो मेरी आँखों में झांकते हुए बोला तुम्हारे thoughts तुम्हारी talks सब बहुत high है। में उसकी गहरी नज़रों से सरशार हो गयी।थी उसकी पर्सनालिटी किसी को भी इम्प्रेस करने वाली। वो किसी को भी अपने रंग में रंग सकता था और में उसके रंग में रंगति जा रही थी। उसे मेरा सूट पहनना ओल्ड fashioned लगता इसलिए मैंने western ड्रेसेस पहनने शरू कर दिए थे। एक दिन मेरे मोबाइल को देखते हुए बोला "इतना तो कंपनी pay करती है की एक iphone ले सको क्या सैमसंग use करती हो "। " हाँ ले तो सकती हूँ पर ज़रुरत भी तो लगे किसी चीज़ की

" मैंने तंग हो कर कहा तो वो और चिढ़ गया "निराली हर चीज़ ज़रुरत पड़ने पर नहीं ली जाती, और लोगी तो पता चलेगा कितनी काम की चीज़ है, क्या नहीं कर सकते उससे "। और फिर अपना iphone निकलकर मुझे उसके ढेरों फीचर्स बताने लगा। थक कर मैंने पुछा,"बात कर सकते हैं इसमें या नहीं " तो हंस दिया और बोला "तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता, एकदम निराली ही हो तुम "। पर में तो जैसे उसकी हर ख्वाहिश को सर आँखों पर रखती थी iphone भी ले लिया। मुझे उसे खुश करना बहुत पसंद था मगर उसे खुश करना काफी मुश्किल था, उसे कुछ आसानी से पसंद ही नहीं आता था। मेरे दिए हुए गिफ्ट्स, मेरी planned outings सब उसे down मार्किट ही लगती। एक दिन वो मुझे discothec ले गया। में पहली बार गयी थी वहां। पहली बार ऐसे डांस किया और ३ star होटल में खाना खाया उसके बर्थडे की ट्रीट थी।

बड़ा अच्छा लगा। घर आ कर मैंने उसे मैसेज किया "Thanks for the lovely outing " मेरा मन हो रहा था लिखूं अच्छी थी मगर ज़्यादा अच्छा लगता अगर सिर्फ हम दोनों समंदर किनारे बैठ कर हाथों में हाथ लिए बातें करते, तुम्हारे शानो पर सर टीकाकार समंदर में सूरज को डूबते हुए देखते। पर मैंने कुछ नहीं लिखा। कुछ दिन बाद उसने मुझे वैलेंटाइन डे पर official dateपर invite किया। । में बड़ी खुश थी एक ब्रांडेड टॉप सेलेक्ट किया, थोड़ा सा मेकअप उसके लिए भी एक गिफ्ट लिया और बड़े एहतमाम से तैयार हो कर उससे मिलने गयी। वो पहले से वहीँ था, हाथों में फूल और गिफ्ट लिए, कोट पहने हुए एकदम प्रिंस की तरह। मुझे देखते ही साथ नाराज़ हो गया। " मन नहीं था तो मना कर देती मगर ऐसे आने कि क्या ज़रुरत थी "। में खुद को देखने लगी सब कुछ तो अच्छा ही था। " कितना ओड लग रहा हूँ तुम्हारे साथ। इतना भी नहीं पता की date पर जाते हैं तो one piece शार्ट ड्रेस पहनते हैं "। हाँ मुझे नहीं पता था और पता होता भी तो शार्ट ड्रेस मैंने पहनी है आज तक जो आज पहनती, मैंने मन में सोचा पर कुछ नहीं कहा, आँखों में आंसूं तैर गए और में घर आ गयी। उसके messages पर messages थे मोबाइल पर। "

I am sorry, में कुछ ज़्यादा ही harsh हो गया था "। दूसरा मैसेज था एक्चुअली तुम्हे फोर्मल्ली सबके सामने प्रोपोज़ करना चाहता था बस इसलिए थोड़ा। तीसरा मैसेज "१० days के लिए घर जा रहा हूँ कुछ अर्जेंट है फॅमिली इश्यूज हैं, पर तुम्हरे बर्थडे तक आ जाऊँगा और तब देखना सब ठीक कर दूंगा, अब प्लीज smile "। मैंने भी "ओके के साथ एक दो smiley भेज कर बात ख़त्म की "। दुसरे दिन से में बहुत हल्का महसूस कर रही थी अब किसीको खुश नहीं करना था मुझे। सोचना नहीं पड़ रहा था क्या पहनू, कौन सी इंग्लिश मूवी देखौं जिससे हम लोग बात कर सकें, उसे क्या अच्छा लगेगा। ऑफिस में उसे मिस किया मगर सुकून था। पानी पूरी खाई,टहलने गयी, पुरानी मूवी देखी, किताबें पढ़ी अपनी पसंद की, शलवार कमीज पहने। बीच में उसके फ़ोन आये बता रहा था "तुम्हारी favorite मूवी पाकीज़ा देखी अच्छी है, नाराज़ तो नहीं हो न "।

ठीक मेरे बर्थडे पर वो मुझे घर से ही पिक करने आया। मुझे पिंक एम्ब्रॉइडरेड सलवार सूट में देख कर प्यार से बोला "मम्मी ने भेजा है, अच्छा लगता है तुम पर " में मुस्कुरा दी। मुझे फूल दिए और वही घुटनो पर बैठ कर मेरी उंगली में क़ीमती अंगूठी पहनाने लगा। मैंने उसे उठाया और उसकी अंगूठी लौटाते हुए कहा "हम एक दुसरे से बहुत अलग हैं। हम साथ नहीं रह पाएंगे "। उसे ऐसी किसी बात की उम्मीद नहीं थी, बहुत घबरा गया और बोला "अरे अलग हैं इसलिए पसंद करते हैं "। मैंने समझाते हुए कहा "पसंद करते हैं पर एक दुसरे को अंडरस्टैंड नहीं करते न ही रेस्पेक्ट करते हैं एक दुसरे की चॉइस को, ये बहुत ज़रूरी है किसी भी रिलेशन में " ।और में चली गयी वो हैरान खड़ा देखता रहा।

करीब एक हफ्ते बाद उसका मैसेज आया "खुश हो मेरे बिना ?" मैंने भी लिखा "पता नहीं पर मुत्मइन हूँ "

और दो लाइन भी लिख दी- 

" तुम क्या मिले, में, में न रही, तुम, तुम न रहे

   अब में मेरे जैसी हूँ, तुम भी हो अपने जैसे "।


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