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Priyanka Gupta

Tragedy Crime Inspirational

4.0  

Priyanka Gupta

Tragedy Crime Inspirational

लाइक्स के लिए कुछ भी करेगा

लाइक्स के लिए कुछ भी करेगा

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"सर, आप ठीक कह रहे हैं। कानून इन्हें माफ़ नहीं कर सकता, लेकिन हम इंसान तो माफ़ कर ही सकते हैं। इनके द्वारा सोशल मीडिया पर मेरी जो फोटोज और वीडियो बिना सच्चाई के जाने पोस्ट कर दिया गया था, उसकी वजह से मेरे परिवार पर जो बीती है, मैं नहीं चाहता कि समान कहानी इनके परिवार के साथ भी दोहराई जाए। "सोशल मीडिया पर ट्रॉल्लिंग के शिकार हुए रमेश ने इंस्पेक्टर से कहा।

"मैं अपनी शिकायत भी वापस ले रहा हूँ। "रमेश ने उसका वीडियो पोस्ट करने वाले लोकेश की तरफ देखकर कहा।


लोकेश ने रमेश को मेट्रो में देखा था। सोशल मीडिया की दुनिया के लाइक्स और कॉमेंट्स के एडिक्शन के शिकार लोकेश हर समय अपने मोबाइल से वीडियो और फोटोज क्लिक करने में व्यस्त रहता था। वह एक चलता फिरता ज़ॉम्बी बन गया था, जिसकी आँखें हमेशा मोबाइल की स्क्रीन पर ही चिपकी रहती थी।

रमेश मेट्रो में ठीक से खड़ा नहीं हो पा रहा था। वह इधर उधर गिर रहा था। एक बार तो वह मेट्रो ट्रैन के गेट के पास भी गिर गया था। लोगों ने उसे सहारा देकर खड़ा किया। लोकेश ने इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया वेबसाइट पर पोस्ट कर दिया था। उसने फोटोज भी लेकर पोस्ट कर दिए थे।


रमेश के फोटोज और वीडियो को नेटिज़ेंस ने अपने अपने तरीके से समझा। नेटिज़ेंस ने उसे एक गैर जिम्मेदार ,बेवड़ा, पियक्कड़, बद्तमीज़ और भी न जाने क्या क्या घोषित कर दिया। रमेश उस दिन अपनी uniform में था और 48 घंटे की थकाने वाली और उबाऊ duty करके घर लौट रहा था।

एक जिम्मेदार govt servat , वह भी police की वर्दी पहने व्यक्ति के तो ऐसे व्यवहार को बिलकुल ही स्वीकार नहीं किया जा सकता था। यह वीडियो और फोटो तेज़ी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। एक पोस्ट ने रमेश की ज़िन्दगी को बदलकर रख दिया। रमेश को निलंबित कर दिया गया। रमेश और उसके परिवार का कहीं भी निकलना मुश्किल हो गया था। बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था।

रमेश को 2 -3 साल पहले पैरालिसिस का अटैक आया था। सही समय पर उपचार मिलने के कारण उसकी स्थिति सुधर गयी थी। लेकिन वह मेडिकेशन पर था। उस दिन लम्बी ड्यूटी के कारण रमेश अपनी दवाइयां नहीं ले पाया था इसलिए उस दिन मेट्रो में उसकी तबीयत ख़राब हो गयी थी।

लेकिन नेटिज़ेंस ने कहानी के दूसरे पक्ष को जाने बिना रमेश को दोषी करार दे दिया ,जबकि वह तो सोशल मीडिया का शिकार था। उसके साथ काम वालों ने उसके पक्ष को उच्च अधिकारियों के समक्ष रखा और उसके बताये तथ्यों की जब जांच की गयी तो उन्हें सत्य पाया गया।

रमेश का निलंबन तो वापस ले लिया गया, लेकिन उन दिनों रमेश और उसके परिवार को जिस मानसिक यातना से गुजरना पड़ा था, केवल उसे वही लोग जानते हैं।

रमेश ने पोस्ट डालने वाले शख्स तक पहुंचने के लिए शिकायत दर्ज करवाई। खोजबीन करने पर साइबर सेल लोकेश तक पहुंची। लोकेश के मोबाइल की जांच करने पर इस बात की पुष्टि भी हो गयी कि लोकेश ने ही पोस्ट डाली थी।

अब लोकेश और रमेश का आमना सामना करवाया गया तो लोकेश ने अपनी गलती स्वीकार भी कर ली। लेकिन रमेश ने उसे माफ़ कर दिया।


लोकेश रमेश की माफ़ी पाकर एकदम निःशब्द हो गया था। उसके पास रमेश को शुक्रिया करने के लिए शब्द तक नहीं थे। लेकिन कई बार जो बातें हम जुबान से नहीं कह पाते ,आँखें बोल ही देती है। उसकी आँखों में रमेश के लिए जो सम्मान और कृतज्ञता के भाव थे, वह रमेश से छुप नहीं सके।

रमेश ने कहा ,"दोस्त भविष्य में कोई भी मैसेज सोशल मीडिया पर पोस्ट करने और फॉरवर्ड करने से पहले उस पर अच्छे से सोच लेना। तुम्हें एक मन्त्र दे रहा हूँ, उम्मीद है तुम उसे अपनाओगे - before posting think

t - is it true?

h -is it harmful ?

i - is it illegal ?

n -is it necessary ?

k - is it kind ?

एक जिम्मेदार व्यक्ति बनो। उम्मीद है भविष्य में कोई और तुम्हारे कारण मेरी तरह यातना का शिकार नहीं होगा। "

लोकेश ने अपना सिर हिलाकर रमेश को आश्वस्त किया।


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