पलायन
पलायन
रमन आज पूरी तरह हिम्मत हार चुका था। उसे चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था। क्या सोच कर घर से निकला था और क्या हो गया था। उसकी सोच के विपरीत बहुत कमजोर था उसका प्यार या यूँ कहें उसके प्यार ने उसे बहुत कमजोर बना दिया था वरना तो उसने अपनें ख़्वाबों में उसके साथ कदम बढ़ाते हुये बहुत कुछ करने की सोची थी।
हर मुश्किल घड़ी में साथ देने का वादा किया था उसने पर जब वास्तव में मुश्किल समय आया और उसने उसके पैरों में बेड़ियाँ बाँधने की कोशिश की तो वह घबरा कर बेड़ियाँ छुड़ाने की जगह पैर ही काट कर पलायन कर कापुरुष की तरह उज्ज्वल भविष्य की चाह में सुविधाओं की बैसाखी ले कर उजाले की ओर भाग निकला।