एक प्रेम कहानी पति-पत्नी की
एक प्रेम कहानी पति-पत्नी की
कहते हैं लोग आपस में प्रेम करो , प्यार मोहब्बत से रहो लेकिन यह बात सिर्फ कहने भर के लिए ही है । दो लोगों के बीच का प्रेम देख नहीं सकते हैं ये दुनिया वाले । प्रेमी प्रेमिका के ही नहीं पति-पत्नी के प्रेम के भी दुश्मन है जमाना । मैं गवाह हूं एक पति-पत्नी के बीच में आएं जमाने का । मेरे पड़ोस में एक सीधी-सादी बहुत मासूम सी लड़की बहू बन कर आई थी । देखने में सुंदर , स्वाभाव से सुशील , व्यवहार कुशल एवं मनमोहक हंसी वाली खुशमिजाज लड़की थी । ब्याह कर ससुराल आई तो सभी का दिल जीत लिया और बहुत खुशी खुशी रहने लगी । सभी के साथ घुल-मिल कर आनंदित रहती थी । पति फौजी था सो दो महीने का छुट्टी पूरी करके वापस बार्डर पर चला गया । ससुराल वाले उसे मायके भी नहीं जाने देते थे । घर का सारा काम उसने अपने माथे ले लिया था । सास ससुर जेठ जेठानी की तिमारदारी से लेकर जेठानी के पांच पांच बच्चों को पढ़ाने लिखाने की जिम्मेदारी तक । उसका भी वक्त गुजर जाता था आराम से लेकिन रात को जब कमरे में जाती थी तब दिल चाहता था कि वो पति से कुछ बोलती कुछ उनकी सुनती .... मगर मजबूरी थी ऐसे में एक ही विकल्प था कि खत में अपनी भावनाएं व्यक्त करें सो रोज रात को नियमित रूप से खत लिखती थी और सुबह पोस्ट करने के लिए बच्चों को देती थी ।
वहां से वह फौजी भी हर रोज खत लिखने लगे इस तरह मुरझाया चेहरा फिर से खिल गया और दिन अच्छे से बीतने लगा था । गाती गुनगुनाती घर का सारा काम निपटा कर जब बिस्तर पर जाती तो सिरहाने उसका खत इंतजार करता हुआ मिलता । वो पगली ऐसे खुश होती जैसे कोई खजाना मिल गया हो .... । खुशियां भी छुपती नहीं है छलक जाती है इधर उधर और लोगों को सहन नहीं होती हैं । आपस में दोनों पति-पत्नी थें फिर भी इनकी खुशियों पर ग्रहण लग गया था । जो खत लिखकर पोस्ट करने को देती वो परिवार के एक सदस्य रख लेते पोस्ट नहीं करते और जब फौजी का खत आता तो परिवार की दुसरी सदस्य रख लेतीं थी । बहू पति के खत के इंतजार में व्याकुल रहती और उधर फौजी भी चिंतित हो गया और परिवार के हर सदस्य को खत लिखा मगर अजीब साजिश .... दो दिलों के बीच दूरी और अलगाव पैदा करने की । एक दिन बहू के सब्र का बांध टूट गया और खाना पीना त्याग कर कोप भवन में बैठ गई । तब भी परिवार वालों को रहम नहीं आया उल्टा सबने कटाक्ष और व्यंग्य वाण से छलनी करने लगे थे । ससुर जी ने भी कहा " आपका छः महीने का रिश्ता है हमारा तो तीस साल का बेटा है तो क्या हमें चिंता फिक्र या प्यार मोहब्बत नहीं है ? आप बेमतलब का नाटक फैला रही हैं । खाइए पीजीए आराम से रही । चिट्ठी जब आएगी तो मिल जाएगी ।" और सर पर सवार होकर खाना खिलाया संभ्रांत परिवार की संस्कारी बेटी थी ससुर जी की आज्ञा का पालन करते हुए खाना खा लिया ।
ठेट गांव में उसका ससुराल था आस पड़ोस में किसी से मिलना-जुलना मना था । कोई साधन नहीं था पति से संपर्क करने का उड़ी सेक्टर हाई एल्टीट्यूड एरिया था । दुखियारी बेचारी अपने मायके से एक कान्हा जी की तस्वीर लेकर आई थी उसी तस्वीर के आगे अपना सारा दुःख सुनाने लगी । एक रात बहुत रोई और रोते रोते सो गयी । दुसरे दिन सर बहुत भारी भारी सा लगा मगर अपने जिम्मे का काम तो करना ही था बेमन से ही उसने काम पूरा किया मगर आंसू उसके थमते नहीं थे । जेठानी की एक बेटी जो सबसे प्रिय थी उसे छोटी मम्मी का आंसू देखा न गया और उसने चुपके से फौजी का तीन खत लाकर दी और बोला की "खत आता है लेकिन आपको देने को मना किया गया है । आप देख लीजिए और दे दीजिए वापस रख आऊंगी नहीं तो मेरी बहुत पिटाई होगी । यह खत इसलिए दिखा रही हूं ताकि आपको विश्वास हो जाए कि आपके पति सही सलामत हैं और आपको रोज याद करते हैं खत भी लिखते हैं । और आपका लिखा खत भी पोस्ट करने को मना किया गया है । " यह सब सुनकर छोटी बहुरानी बहुत हैरान हुई । ये कैसी बेबसी है कि खत हाथ में है और पढ़ भी नहीं सकती .... फिर उसने कोशिश की बिना फाड़े खत को पढ़ा जा सकता था क्योंकि वो अंतर्देशीय पत्र था । सफल हो गयी वो तीनों खत बारी बारी से पढ़ लिया और फिर उसी स्थान पर रख दिया गया । इन दोनों की आपस में डील हुई की हर रोज वो चुपके से खत ला कर दे देगी और बहुरानी उसे पारले जी का एक पैकेट देंगी उस वक्त दो रुपए में पारले जी बिस्कुट आता था । इस तरह अपने ही परिवार में अपने पति का खत चोरी चोरी पढ़ना पड़ता था और चोरी चोरी ही खत पोस्ट करवाना पड़ता था । यूं तो यह सब उसके लिए बेहद दुखद और परिवार वालों के लिए बहुत शर्मनाक कृत्य था । एक नई नवेली दुल्हन को उसके मायके भी नहीं जाने दिया जाता था और उसके पति से पत्रचार भी नहीं करने दिया जा रहा था । मगर वो बहुरानी साकारात्मक सोच रखने वाली एक शांतिप्रिय स्वाभाव की महिला थी उसने इस यातना में भी आंनद चुन लिया । उसने सोचा कि प्रेमी-प्रेमिका भी तो इस तरह चोरी चोरी चुपके चुपके मिलते-जुलते हैं । उन पर भी तो ऐसी ही बंदिशें लगाई जाती हैं फिर भी सच्ची मोहब्बत करने वाले कोई न कोई तरकीब निकाल ही लेते हैं । और यह खुशनुमा ख्याल आते ही उसके दिमाग के सारे तार झनझना उठे और प्रेम गीत गुनगुनाने लगी । उम्मीद की किरणों से नहा गई थी वो और सोच लिया था यह "प्रेम कहानी " एक दिन प्रसिद्ध होगी और जरूर होगी क्योंकि उसे अब जूनून सवार हो चुका था । ऐसे माहौल में भी उसने चार बरस बीताए उन प्यार के दुश्मनों के साथ फिर एक दिन फौजी को सारी हकीकत मालूम पड़ गई । अपने परिवार वालों पर बहुत नाराज़ हुआ लेकिन बहुरानी क्लेश नहीं निदान चाहती थी इसलिए घर वालों से झूठ बोलकर की दस दिनों के लिए घुमाने ले जा रहा हूं और पत्नी को अपने साथ ले जाने के लिए परिवार वालों को राजी कर लिया । परिवार वाले सशर्त माने की साथ में अपने भाई बहन को भी ले जाओ । फौजी ये भी मान लिया और दो जोड़ी कपड़ों में उड़ चली शहर की बुलबुल जो गांव के सैयाद के चंगुल में फंस गयी थी ।
आज की तारीख में वो दोनों बुजुर्ग दंपति हैं लेकिन उनकी जिंदादिली और बेबाक मोहब्बत के चर्चे हैं । दर्जनों बार उन्हें आदर्श जोड़ी का खिताब मिला है । परिवार , गांव , मोहल्ले , सोसायटी और अपने रेजिमेंट में भी उनकी जोड़ी को "लव वर्ड" "परफेक्ट कपल " "मेड फॉर ईच अदर " "आइडियल कपल " जैसे नोट दिए गए हैं । उनके बच्चे भी कहते हैं "रोमांटिक कपल " हैरानी होती है यह सोचकर की बंदिशें इंसान को कितना बदल देती है छूई मुई सी लाजवंती बहुरानी इतनी बिंदास कैसे बन गई ? लेकिन यह बात आजतक समझ में नहीं आई कि पति-पत्नी के बीच में परिवार वाले खलनायक क्यों बनें ? वैसे वर्तमान में वो जोड़ी बेहद खुशहाल और सुखमय और आनंदित है । एक कहावत है "कोई लाख बुरा चाहे तो क्या होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है ।" ईश्वर की इच्छा सर्वोपरि पर । कान्हा जी ने मिला दिया और ऐसा मिलाया की पति-पत्नी की अनोखी प्रेम कहानी दूर दूर तक प्रसिद्ध हो गई । कहां तो ये दोनों जुदा होने वाले थे और मिलें तो ऐसे मिलें की मिसाल बन गये ।