बच्चा तुम्हारा ही है ना ?
बच्चा तुम्हारा ही है ना ?
राहुल और रिया की शादी के अभी एक महीना ही हुआ था कि उन्हें ख़ुशख़बरी भी मिल गई । वैसे तो आज के समय में इतनी जल्दी कोई भी बच्चे के बारे में नहीं सोंचता। लेकिन राहुल और रिया का सोचना था की जब भगवान ने उन्हें वह नियमत दी है जिसके लिए कितने ही लोग तरसते रहते है तो क्यो ना उसका मान रखा जाए।
यहाँ तक तो सब ठीक था क्योंकि बात और निर्णय राहुल और रिया के थे।
जब रिया ने अपने माँ को ये बात बताई तो वह नानी बनने की ख़ुशी रोक नहीं पा रही थी पर उन्होंने रिया से ये सवाल ज़रूर किया की इतनी जल्दी क्या थी , थोड़ा घुमते फिरते आज़ादी से फिर इस ओर आगे बढ़ते। इधर राहुल ने जब अपनी माँ को बताया तो उन्होंने बहुत ही कड़ा सवाल किया “ बच्चा तुम्हारा ही है ना , देख लेना” । इस प्रश्न के कठोरता को राहुल बर्दाश्त नहीं कर सका और कहा ये क्या कह रही हो माँ। उसकी माँ ने कहा देख शादी तो तूने अपनी पसंद की करी है । जैसे वह तेरे साथ घुमा करती थी , किसी और के साथ भी तो नहीं घुमा करती थी। या फिर उसका तेरे अलावा किसी और से तो रिश्ता नहीं था।
ज़रा समझ लेना। राहुल फ़ोन रख एक पल को स्तभ खड़ा रहा फिर बाहर गलियारे में निकल गया। रिया से कुछ नहीं कहा, पर रिया राहुल को ऐसे देख समझ गई की सब कुछ सामान्य नहीं है। वह राहुल को कुछ समय के लिए अकेला ही रहने दी। दस मिनट बाद उसके पास गई और उसका हाथ पकड़ कर कही चलो ना क़ुल्फ़ी ख़ा कर आते हैं। राहुल ख़ुद को सम्भालता हुआ कहा चलो चलते हैं , मैं बटुआ लेकर आता हूँ।
दोनो बाहर निकले, रिया इधर उधर की बातें करने लगी तब राहुल ने बताया की दादी बनने की बात पर उसकी माँ ने क्या कहा है। सारी बातें सुन कर रिया थोड़ी अस्थिर हुई, फिर सम्भालती हुई पूछी , तुम्हें क्या लगता है! राहुल ने कहा तुम क्या कहना चाहती हो की मैं तुम पर शक कर रहा हूँ ! रिया ने कहा मैं तो ये कह रही हूँ की माँ जी ख़ुश हुई या नहीं, तुम्हें क्या लगता है। मैं जानती हूँ कि तुम मेरी अग्नि परीक्षा नहीं लोगे।
हमारा रिश्ता, हमारा विश्वास ,हमारा प्यार तब का है जब हम किसी समाजिक बंधन में नहीं बँधे थे। अगर तुम मेरी परीक्षा लेने वाली सोंच के होते तो मेरा तुम्हारे अलावा किसी भी पुरुष मित्र से बात करना, साथ बैठना, सिनेमा देखना, मुझे अग्नि परीक्षा के लिए योग्य करता।ये तो हमारा एक दूसरे पर भरोसा ही था की हम दोनो कभी भी अपने सम्बंध को ले कर असुरक्षित नहीं थे और शायद आगे भी नहीं होंगे।
तभी राहुल का फ़ोन बजता है। वह कहता है माँ का है। रिया कहती है उठाओ। वह फोने कान से लगता है तो उधर से माँ कहती है अच्छा बताओ डाक्टर ने कब की तारीख़ दी है। इस समय रिया का अकेले रहना सही नहीं है । मैं आती हूँ, उसकी माँ तो आने से रही, बहुत ही आराम तलब औरत है, उसे तो बेटी से ज़्यादा अपने आराम की पड़ी होगी।रिया से कहना उसकी सास के जैसी सास कोई नहीं जो बहु का इतना ध्यान रखती हो।और हाँ जो मैंने पहले कहा उस पर ध्यान ना देना, तु तो जनता है मैं जो भी मन में आता बस बड़बड़ा जाती हूँ।पति पत्नी के बीच का विश्वास ही सफल वैवाहिक जीवन की कुंजी है।
इस वाक़या के बाद राहुल अब भी यही सोंच रहा था की जैसे रिया की दोस्ती राहुल से थी वैसे राहुल भी तो रिया का दोस्त था फिर रिया की ही सच्चाई पर प्रश्न क्यों हुआ, राहुल की सच्चाई क्यों नहीं परखी गई।