ख्वाबो में तुम ही तुम
ख्वाबो में तुम ही तुम
रोज ही सपनो में आते हो तुम
पर अब वो प्यार वो अपनापन
जाने खो गया कहाँ है
सोचने पर मजबूर हुए है हम
क्या ये तुम ही हो या कोई और है
रूठे रूठे से क्यों हो तुम
खोये खोये से क्यों हो तुम
तेरी वो हँसी वो खुशी खो गयी कहाँ
इतने बदले बदले से क्यों हो तुम
काश ये सपना सपना ही हो
हकीकत का रूप ना ले ले ये ख्वाब
ये डर अब हमको लगने लगा है
कल रात ख्वाब इतने आये कि
हिसाब रखना मुश्किल था
कल ख्वाबो में हमने खुद को
तूफानों से घिरे देखा
दिल बार बार तुझको
पुकार रहा था पर तू मेरे
आस पास भी ना था
फिर तेरी बाते याद आने लगी
हर मुसीबत का सामना खुद
ही करने लगे हम
और मुसीबतों के भवँर से खुद
को बाहर निकालने में सफल हो गए
जब आँख खुली तो तुम मेरी आँखों
के सामने नजर आए