जैसे कर्म करोगे वैसे फल पाओगे
जैसे कर्म करोगे वैसे फल पाओगे
मनजीत अपने कमरे में अकेले सोयी हुई थी वो जीवन के अंतिम पड़ाव में जी रही थी, वो गाँव में पैदा हुई उसकी शादी भी एक गाँव में हुई थी उसको अपने पुराने दिन याद आ गए जब वो शादी कर के इस घर में आयी थी घर तो अच्छा खासा था उसके घर मे सास ससुर पति और ननदें भी थी उसके पति की सगी माँ मर चुकी थी पर ये माँ भी सगो से कम नहीं थी।
मनजीत की शादी के बाद दिन अच्छे गुजरने लगे पति पढ़ा लिखा था, पर बड़ा बेटा था इसलिए सब खेती का काम वो ही देखता था ससुर भी अच्छे पढ़े लिखे हकीम थे। मनजीत के घर एक बेटी हुई फिर एक बेटा मनजीत की नीयत बिगड़ने लगी वो चाहती थी कि उसका पति जिसको उसके पांच चाचा ससुरों की दी हुई जायदाद थी, 40 किले ज़मीन वो लेकर अलग हो जाये, ताकि उसके छोटे 5 वर्ष के भाई का कोई हक ना रहे। पर उसका पति कुलदीप इसके लिए तैयार ना हुआ, उसकी नन्द की शादी थी तो उसने झगड़ा लगा दिया, ससुर अपने छोटे बच्चों को लेकर अलग हो गया कि बेटा बहू झगड़े नहीं।
मनजीत नहीं चाहती थी कि कुलदीप अपनी बहन की शादी में जाये और कुलदीप जब शादी में गया तो मनजीत उससे झगड़ा करने लगी। कुलदीप ने डोली जाने तक इन्तजार किया और फिर मनजीत को बोलकर की अब उसकी लाश ही इस घर में आएगी चला गया।
उसने कोई ज़हर खा लिया, जबतक उसका पिता उसको बचाने की कोशिश कर पाता उसकी मौत हो गयी। उन्होंने मनजीत से कहा अब ये पैसा ही तुम्हारा दोस्त है रिश्तों की कोई कद्र नहीं। मनजीत के मायके वालों ने भी उसको बहुत कोसा पर वो टस से मस ना हुई, गाँव में परंपरा थी छोटे देवर की चादर डालने की, पर मनजीत का देवर तो बहुत छोटा था मनजीत को तो जायदाद प्यारी थी वो अपने दो बच्चों के साथ अकेले रहने लगी। एक बेटा कुलदीप की मौत के बाद हुआ दौलत का लालच इतना था को खुद ही खेती का काम देखती।
सास ससुर ननदों सब को नजर अंदाज़ करती, एक बेटे की उसके तीस वर्ष में मौत हो गयी उसकी बीवी ने अपना हिस्सा ले लिया दूसरा बेटा बहु अपना हिस्सा लेकर चले गए, बेटी अपने घर चली गयी।
आज बरसों बाद उसे अपनी की हुई भूलों का एहसास हो रहा था, गाँव के लोग उससे ज्यादा बात नहीं करते थे क्योंकि एक नामचीन इंसान की बहू होते हुए भी उसने जो अपने ससुर और ससुराल वालों के साथ किया था सब को याद था।
बहू होने का एक भी फ़र्ज़ उसने निभाया नहीं था, आज उसकी बहुओ ने भी उसके साथ वैसा ही सलूक किया, अब वो अकेली बस मौत का इन्तजार कर रही है जैसे कर्म करोगे वैसे फल पाओगे।
