यादे जो हर पल साथ रहती है
यादे जो हर पल साथ रहती है
जब भी होती है बूंदा बांदी मिट्टी की भीनी भीनी खुशबू प्यारी लगती है मन मे कई उमंगे जाग उठती है ।
याद आ जाते है कई किस्से जो जुड़े है बारिश के मौसम से । वो बचपन में बारिश में भीगना वो कागज़ की कश्ती बना कर पानी मे छोड़ना वो सब बचपन के साथी जिनके साथ मिलकर हो हल्ला मचाते थे
आज भी हर साल वो बारिश याद आ जाती है जब नाना गांव से मुम्बई पहली बार या ये कह लो आखरी बार आये थे अपनी बेटी से मिलने जिस रोज उनको जाना था हम उनको छोड़ने मुम्बई सेंट्रल स्टेशन गए थे मैं मामा माँ और नाना थे बहुत बारिश शुरू हो गयी ट्रैन कुछ देर से चलने वाली थी उनकी ट्रैन के जाने के बाद जब लौट रहे थे बहुत तेज़ बारिश हो रही थी टेक्सी वाले ने हमको बीच राह छोड़ दिया और उस बारिश में बहुत मुश्किल से घर पहुँचे वो बात इस लिए याद रह जाती है क्योंकि नाना की उसके कुछ समय बाद मौत हो गयी उनसे मेरी आखरी मुलाकात थी ।
बारिश हर साल आती रही यादे छोड़ जाती है फिर कॉलेज के दिनों में बारीश में भीग भीग कर मौज मस्ती करते हुए घर लौटना और जब नौकरी की तब भी चाहे कितनी भी बारिश हो अपने काम के लिए निकल पड़ना चाहे कितने भी पानी से गुजरना पड़े ।
1997 में तो हद्द ही गयी इतनी बारिश हो रही थी की चांदिवली से हम चार लोग जो सायन रहते थे चल चल कर घर आये और मेरी बहन बोरीवली से जाने कितनी मुश्किल से आई और साथ एक अनजान लड़की को भी ले आयी जिसका घर मुम्ब देवी मंदिर के आस पास था उस लड़की कद घर वाले भी परेशान हो रहे थे पर मेरी माँ ने उनसे कहा डरने की कोई बात नहीं दूसरे दिन रविवार था बारिश कम हुई तो उसका भाई आया और उस लड़की को ले गया ।
ये मुम्बई की बारिश भी कभी कभी बहुत बरसती है 26 जुलाई के वो बारिश का दिन उस वक्त मैं अंधेरी में थी पूजा थी घर पर इसलिए एक बजे निकल आयी थी ट्रैन पकड़कर पर जैसे ही घर लौटी बारिश इतनी हुई उस दिन की सोच कर भी डर लगता है कि उस दिन कहीं अटक गई होती तो क्या होता।